पंजाब में टीबी का बढ़ता खतरा: 46 से 60 वर्ष के लोगों के लिए चेतावनी


 पंजाबवासियों के लिए एक अहम और चिंता जनक खबर सामने आई है। पंजाब में ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) नामक बीमारी ने गंभीर रूप धारण कर लिया है, विशेष रूप से 46 से 60 साल और उससे अधिक आयु वर्ग के लोगों के लिए। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस आयु वर्ग में यह बीमारी अधिक खतरनाक साबित हो रही है।


हालांकि, 15 से 30 वर्ष के टीबी मरीजों की संख्या ज्यादा है, लेकिन उनकी रिकवरी दर काफी बेहतर है। इसके विपरीत, 60 वर्ष से ऊपर के मरीजों में मौत का प्रतिशत 10% से भी अधिक पाया गया है। यह आंकड़ा राष्ट्रीय औसत मौत दर से कहीं अधिक है।


राष्ट्रीय औसत से अधिक है पंजाब की स्थिति


केंद्र सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, पूरे देश में टीबी के कारण मौत दर 4% है, जबकि पंजाब में यह 4.5% है। यह अंतर राज्य के स्वास्थ्य के लिए गंभीर चिंता का कारण है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 2023 में 46 से 60 साल के मरीजों की मौत दर 6.2% थी, जो 2024 में भी बहुत कम नहीं हुई।


2024 में जनवरी से अक्टूबर तक, पंजाब में टीबी के कारण मौत दर 5.9% रही, जो यह दर्शाती है कि राज्य में इस बीमारी को नियंत्रित करना एक बड़ी चुनौती है। खासकर 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के मरीजों की हालत और भी खराब है।


टीबी मुक्त भारत का लक्ष्य और सरकार की कोशिशें


केंद्र सरकार ने 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राज्य सरकार ने भी अपनी स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के प्रयास किए हैं। अब टीबी के मामलों की निगरानी और टेस्टिंग पर अधिक जोर दिया जा रहा है। हालांकि, यह ध्यान देने वाली बात है कि टीबी किसी भी उम्र में ठीक हो सकती है, बशर्ते इसका सही समय पर इलाज हो।


टीबी के लक्षणों पर ध्यान देना जरूरी


टीबी के खतरे को देखते हुए इसके लक्षणों की पहचान और समय पर इलाज बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है। इसके आम लक्षणों में लंबे समय तक खांसी का रहना, बुखार, वजन घटना, और रात को पसीना आना शामिल हैं। यदि समय रहते इन लक्षणों पर ध्यान दिया जाए, तो बीमारी पर काबू पाया जा सकता है।


वृद्ध आयु वर्ग के लिए चुनौती


60 साल से ऊपर की उम्र में टीबी के मामलों में मौत दर अधिक होने का कारण मरीजों की कमजोर प्रतिरोधक क्षमता और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हैं। इस उम्र में कई लोग पहले से ही डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, और हृदय रोग जैसी बीमारियों से ग्रसित होते हैं, जिससे उनकी स्थिति और भी जटिल हो जाती है।


राज्य सरकार ने वृद्ध आयु वर्ग के लिए विशेष कार्यक्रम शुरू किए हैं, ताकि उनकी स्थिति में सुधार लाया जा सके। लेकिन इसके लिए जनता को भी जागरूक होना पड़ेगा और स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाना होगा।


सरकार और समाज की जिम्मेदारी


टीबी के खिलाफ लड़ाई केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है। समाज के प्रत्येक व्यक्ति को इस बीमारी के प्रति जागरूक होना होगा। यदि किसी के परिवार या आस-पड़ोस में टीबी के लक्षण वाले लोग हों, तो उन्हें तुरंत जांच और इलाज के लिए प्रेरित करना चाहिए।


टीबी एक संक्रामक रोग है, जो मरीज के खांसने, छींकने या बोलने के दौरान हवा में फैलने वाले बैक्टीरिया के जरिए फैलता है। ऐसे में मरीजों को भी सावधानी बरतनी चाहिए और मास्क पहनना चाहिए।


टीबी से बचाव के उपाय


टीबी से बचाव के लिए सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए हैं। बच्चों को बचपन में ही बीसीजी का टीका लगाया जाता है, जो टीबी के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक है। इसके अलावा, संतुलित आहार, स्वच्छता का ध्यान और नियमित जांच से भी इस बीमारी से बचा जा सकता है।


सरकार की योजनाएं


राज्य सरकार ने टीबी के खिलाफ लड़ाई में कई योजनाएं शुरू की हैं। इनमें मुफ्त जांच, इलाज और मरीजों को पौष्टिक भोजन के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करना शामिल है। टीबी के मरीजों को हर महीने सरकार की ओर से 500 रुपए की सहायता दी जाती है, ताकि वे अपनी सेहत का बेहतर ख्याल रख सकें।


सरकार की यह योजना केवल तभी सफल हो सकती है, जब लोग अपनी स्वास्थ्य स्थिति को गंभीरता से लें और समय पर जांच व इलाज कराएं।


समाज की भूमिका


पंजाब में टीबी के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए समाज की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। हर व्यक्ति को चाहिए कि वे अपने परिवार और आस-पास के लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करें। किसी भी प्रकार की उपेक्षा से स्थिति और भी खराब हो सकती है।


टीबी एक गंभीर बीमारी है, लेकिन यह लाइलाज नहीं है। सही समय पर उपचार और सरकार की योजनाओं का लाभ उठाकर इसे हराया जा सकता है। पंजाबवासियों के लिए यह जरूरी है कि वे इस बीमारी को हल्के में न लें और अपने स्वास्थ्य पर पूरा ध्यान दें। विशेष रूप से 46 से 60 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि इस आयु वर्ग में मृत्यु दर अधिक है।


स्वास्थ्य विभाग और सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों का लाभ उठाकर और समाज में जागरूकता फैलाकर, हम सभी मिलकर पंजाब को टीबी मुक्त बना सकते हैं।



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