"केंद्रीय बजट 2025-26: जानें वित्त मंत्री की प्रमुख घोषणाएं और नीतियां"

 


केंद्रीय बजट भारत की आर्थिक नीति का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है, जो देश की वित्तीय दिशा, विकास की प्राथमिकताओं और संसाधनों के आवंटन को निर्धारित करता है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए केंद्रीय बजट 1 फरवरी 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा। इस अवसर पर, बजट की प्रस्तुति की तारीख, समय और इससे संबंधित परंपराओं में हुए परिवर्तनों के साथ-साथ बजट के प्रमुख बिंदुओं पर विस्तृत चर्चा करना महत्वपूर्ण है।



बजट प्रस्तुति की तारीख में परिवर्तन:


2017 से पहले, भारत में केंद्रीय बजट 28 फरवरी को प्रस्तुत किया जाता था, जो ब्रिटिश शासनकाल से चली आ रही परंपरा का हिस्सा था। इस परंपरा के अनुसार, बजट फरवरी के अंतिम कार्य दिवस पर पेश किया जाता था। हालांकि, इस समय-सीमा के कारण बजट के प्रावधानों को 1 अप्रैल से लागू करने में कठिनाइयाँ आती थीं, क्योंकि राज्यों और विभागों के पास नई योजनाओं और नीतियों को लागू करने के लिए पर्याप्त समय नहीं होता था।



इस समस्या के समाधान के लिए, तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2017 में बजट प्रस्तुति की तारीख को 28 फरवरी से बदलकर 1 फरवरी करने का निर्णय लिया। इस परिवर्तन का मुख्य उद्देश्य बजट पारित होने और उसके प्रावधानों को लागू करने के लिए पर्याप्त समय सुनिश्चित करना था, ताकि वित्तीय वर्ष की शुरुआत से ही योजनाओं का क्रियान्वयन सुचारू रूप से हो सके। 


बजट प्रस्तुति के समय में परिवर्तन:


बजट प्रस्तुति के समय में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ है। 1999 तक, बजट शाम 5 बजे प्रस्तुत किया जाता था, जो ब्रिटिश काल की परंपरा का हिस्सा था। ब्रिटेन में बजट सुबह 11 बजे प्रस्तुत किया जाता था, जो भारतीय समयानुसार शाम 5 बजे होता है। इसलिए, भारत में भी बजट शाम 5 बजे प्रस्तुत किया जाता था।

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1999 में, तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने इस परंपरा को बदलकर बजट प्रस्तुति का समय सुबह 11 बजे करने का निर्णय लिया। इस परिवर्तन का उद्देश्य सांसदों और विशेषज्ञों को बजट के प्रावधानों का विश्लेषण करने और उस पर चर्चा करने के लिए अधिक समय प्रदान करना था। तब से, बजट सुबह 11 बजे प्रस्तुत किया जाने लगा। 


रेलवे बजट का एकीकरण:


2017 में, एक और महत्वपूर्ण परिवर्तन किया गया। पहले, रेलवे बजट को केंद्रीय बजट से अलग प्रस्तुत किया जाता था, जो 92 साल पुरानी परंपरा थी। यह बजट आम बजट से दो दिन पहले प्रस्तुत किया जाता था। 2017 में, अरुण जेटली ने रेलवे बजट को केंद्रीय बजट में मिलाने का निर्णय लिया, जिससे बजट प्रक्रिया को सरल और समेकित बनाया गया। 


वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट के प्रमुख बिंदु:


वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में सरकार ने राजकोषीय घाटे (फिस्कल डेफिसिट) को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 4.9% तक सीमित करने का लक्ष्य रखा है, जो पहले के 5.1% के लक्ष्य से कम है। यह कमी भारतीय रिजर्व बैंक से प्राप्त 2.11 ट्रिलियन रुपये के अधिशेष हस्तांतरण और मजबूत कर राजस्व के कारण संभव हुई है। 


सरकार का उद्देश्य 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को GDP के 4.5% से नीचे लाना है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि 2026-27 से, सरकार का प्रयास होगा कि प्रत्येक वर्ष राजकोषीय घाटा GDP के प्रतिशत के रूप में घटता रहे, जिससे केंद्रीय सरकारी ऋण का भार कम हो। 


इसके अतिरिक्त, सरकार ने रोजगार सृजन के लिए अगले पांच वर्षों में 24 बिलियन डॉलर और ग्रामीण विकास के लिए इस वर्ष 32 बिलियन डॉलर के खर्च की घोषणा की है। हालांकि, कृषि और श्रम बाजारों में संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता बनी हुई है। बुनियादी ढांचा खर्च को बढ़ावा देने से निजी क्षेत्र के निवेश को आकर्षित करने में मदद मिल सकती है, यदि इसे प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जाए। 


भविष्य की वित्तीय नीति में परिवर्तन:


2025-26 के बाद, भारत अपनी वित्तीय नीति में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन करने की योजना बना रहा है। वित्त सचिव टी.वी. सोमनाथन के अनुसार, सरकार राजकोषीय घाटे के लक्ष्य से हटकर ऋण-से-GDP अनुपात पर ध्यान केंद्रित करेगी। इसका उद्देश्य एक अधिक स्थायी वित्तीय ढांचा स्थापित करना है। हालांकि, 3% से अधिक का राजकोषीय घाटा भारत की उच्च नाममात्र वृद्धि दर के कारण प्रबंधनीय माना जा रहा है। 


निष्कर्ष:


केंद्रीय बजट 2025-26 में किए गए ये परिवर्तन और घोषणाएँ भारत की आर्थिक नीति में महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश प्रदान करते हैं। बजट प्रस्तुति की तारीख और समय में बदलाव, रेलवे बजट का एकीकरण, राजकोषीय घाटे को कम करने के प्रयास, और भविष्य में वित्तीय नीति में परिवर्तन जैसे कदम सरकार की आर्थिक सुधारों और विकास की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। इन नीतियों का सफल कार्यान्वयन देश की आर्थिक स्थिरता और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।



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