दिल्ली में वायु प्रदूषण: GRAP स्टेज-II का लागू होना और इसके प्रभाव


दिल्ली में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुकी है। हर साल सर्दियों के महीनों में प्रदूषण का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ जाता है, जिससे दिल्ली-एनसीआर में लाखों लोग प्रभावित होते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) लागू किया है। हाल ही में, दिल्ली में वायु गुणवत्ता के खराब स्तर को देखते हुए GRAP का स्टेज-II लागू किया गया है।


GRAP क्या है?



GRAP यानी ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान वायु प्रदूषण से निपटने के लिए एक चरणबद्ध कार्य योजना है। इसे 2017 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लागू किया गया था। इसका उद्देश्य दिल्ली और एनसीआर में वायु गुणवत्ता खराब होने पर तत्काल प्रभाव से उचित कदम उठाना है। GRAP को चार स्तरों में बांटा गया है:


1. पहला स्तर (Moderate to Poor): जब AQI 201-300 के बीच हो।


2. दूसरा स्तर (Poor to Very Poor): जब AQI 301-400 के बीच हो।


3. तीसरा स्तर (Very Poor to Severe): जब AQI 401-450 के बीच हो।


4. चौथा स्तर (Severe+ or Emergency): जब AQI 450 से अधिक हो।


GRAP स्टेज-II के लागू होने का मतलब



दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) "बहुत खराब" श्रेणी में पहुंच गया है, यानी 301-400 के बीच। इस स्तर पर GRAP का दूसरा चरण लागू होता है। इसके तहत कुछ विशेष प्रतिबंध और कार्यान्वयन किए जाते हैं:


1. डीजल जनरेटर पर रोक: डीजल से चलने वाले जेनरेटर पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाता है। केवल आपातकालीन सेवाओं के लिए छूट दी जाती है।



2. वाहनों की निगरानी: पुरानी और अधिक प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर सख्ती बढ़ा दी जाती है।


3. कूड़ा जलाने पर रोक: कचरा और पराली जलाने पर सख्त प्रतिबंध लागू होता है।


4. निर्माण गतिविधियों पर नियंत्रण: बड़े पैमाने पर निर्माण और तोड़फोड़ की गतिविधियों पर आंशिक या पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाता है।


5. औद्योगिक गतिविधियों का नियमन: कोयला और अन्य प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन का उपयोग करने वाले उद्योगों की निगरानी और रोकथाम की जाती है।


6. पानी का छिड़काव: सड़कों पर धूल को नियंत्रित करने के लिए नियमित रूप से पानी का छिड़काव किया जाता है।


वायु प्रदूषण के मुख्य कारण


दिल्ली में वायु प्रदूषण के बढ़ने के कई कारण हैं:


1. पराली जलाना: पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में धान की पराली जलाने से दिल्ली में स्मॉग बढ़ता है।


2. वाहनों का धुआं: दिल्ली की सड़कों पर लाखों वाहन चलते हैं, जो प्रदूषण का प्रमुख स्रोत हैं।


3. निर्माण गतिविधियां: बड़ी संख्या में निर्माण और तोड़फोड़ की गतिविधियां धूल और कण प्रदूषण को बढ़ाती हैं।


4. औद्योगिक प्रदूषण: दिल्ली के आसपास के औद्योगिक क्षेत्रों में प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन का उपयोग वायु गुणवत्ता को प्रभावित करता है।


5. जैविक अपशिष्ट जलाना: ठंड के महीनों में लोग जैविक कचरा और लकड़ी जलाते हैं, जिससे प्रदूषण बढ़ता है।


6. मौसमी प्रभाव: सर्दियों में हवा की गति धीमी हो जाती है, जिससे प्रदूषक कण वातावरण में ठहर जाते हैं।


GRAP स्टेज-II के प्रभाव

GRAP स्टेज-II लागू होने से दिल्ली में प्रदूषण पर आंशिक नियंत्रण की उम्मीद की जाती है। हालांकि, इसके प्रभाव सीमित हो सकते हैं यदि सभी हितधारक (सरकार, उद्योग, नागरिक) अपनी जिम्मेदारियां न निभाएं।


1. सकारात्मक प्रभाव:


प्रदूषण के स्तर में आंशिक गिरावट।


लंबे समय में नागरिकों के स्वास्थ्य में सुधार।

सरकार और अधिकारियों को प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में बेहतर डेटा और नीतियां बनाने में मदद।



2. चुनौतियां:

नागरिकों द्वारा नियमों का पालन न करना।

औद्योगिक इकाइयों और निर्माण गतिविधियों पर पर्याप्त निगरानी का अभाव।


पड़ोसी राज्यों से आने वाले प्रदूषण का सीधा प्रभाव।

सार्वजनिक परिवहन की सीमित सुविधाएं, जिससे निजी वाहनों पर निर्भरता बढ़ती है।


स्वास्थ्य पर प्रभाव

दिल्ली में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर का स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। GRAP स्टेज-II लागू होने के बावजूद, बहुत खराब वायु गुणवत्ता नागरिकों के लिए निम्नलिखित स्वास्थ्य समस्याएं ला सकती है:


1. सांस संबंधी बीमारियां: अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और फेफड़ों के संक्रमण का खतरा बढ़ता है।


2. हृदय रोग: प्रदूषण के कारण दिल के दौरे और अन्य हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है।


3. प्रतिरक्षा प्रणाली पर असर: लंबे समय तक प्रदूषण में रहने से प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है।


4. आंखों और त्वचा की जलन: धूल और धुएं के कण आंखों और त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं।


5. बच्चों और बुजुर्गों पर असर: बच्चे और बुजुर्ग प्रदूषण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।


सरकार की जिम्मेदारी

GRAP के तहत दिल्ली सरकार और केंद्रीय एजेंसियों की कई जिम्मेदारियां हैं:


1. जनजागरूकता: लोगों को प्रदूषण के खतरों और बचाव के तरीकों के बारे में जागरूक करना।


2. कानून का सख्ती से पालन: प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों, वाहनों और गतिविधियों पर सख्त कार्रवाई।


3. पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सुधार: मेट्रो, बसों और ई-रिक्शा जैसी सुविधाओं को बढ़ावा देना।


4. स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग: औद्योगिक और घरेलू स्तर पर स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहित करना।


नागरिकों की भूमिका

वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में नागरिकों की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। कुछ जरूरी कदम:


1. निजी वाहनों के बजाय सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें।


2. पराली या कचरा जलाने से बचें।


3. अपने वाहनों की नियमित रूप से प्रदूषण जांच कराएं।

4. अधिक से अधिक पेड़ लगाएं।


5. घर में एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें और मास्क पहनें।


समाधान और सुझाव


दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए दीर्घकालिक उपाय जरूरी हैं।

1. पराली जलाने का विकल्प: किसानों को पराली जलाने के विकल्प जैसे मशीनरी और सब्सिडी प्रदान करें।


2. ग्रीन कवर बढ़ाना: शहरी क्षेत्रों में हरित क्षेत्र बढ़ाना।

3. इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा: ई-वाहनों के लिए अधिक चार्जिंग स्टेशन और सब्सिडी।

4. कचरे का प्रबंधन: जैविक और ठोस कचरे के उचित प्रबंधन की व्यवस्था।

5. प्रदूषण निगरानी: प्रदूषण मापने वाले उपकरणों और तकनीकों को बढ़ाना।


निष्कर्ष

दिल्ली में GRAP स्टेज-II का लागू होना प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में एक आवश्यक कदम है। हालांकि, वायु प्रदूषण एक जटिल समस्या है, जिसे हल करने के लिए सरकार, उद्योग, और नागरिकों के सामूहिक प्रयास की जरूरत है। अगर हम सभी मिलकर प्रदूषण के खिलाफ कदम उठाएं, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और स्वच्छ पर्यावरण सुनिश्चित किया जा सकता है।


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