आराध्या बच्चन ने झूठी खबरों के खिलाफ उठाया कदम, हाईकोर्ट ने गूगल को नोटिस जारी किया


Aradheya Bachchan


भूमिका


बॉलीवुड में कई स्टार किड्स सुर्खियों में रहते हैं, लेकिन उनमें से कुछ को अनावश्यक रूप से विवादों में घसीटा जाता है। हाल ही में, ऐश्वर्या राय बच्चन और अभिषेक बच्चन की बेटी आराध्या बच्चन को लेकर यूट्यूब पर भ्रामक खबरें फैलाई गईं, जिससे परेशान होकर उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया। इस याचिका में उन्होंने अपने स्वास्थ्य को लेकर फैलाए जा रहे झूठे दावों पर रोक लगाने की मांग की।

Aradheya Bachchan


हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए गूगल और अन्य ऑनलाइन प्लेटफार्मों को नोटिस जारी किया और झूठी खबरें फैलाने वाले यूट्यूब चैनलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए। इस फैसले ने न केवल सेलिब्रिटी बच्चों की निजता को लेकर नई बहस छेड़ दी, बल्कि यह भी दिखाया कि इंटरनेट पर फैलाई जाने वाली अफवाहों को रोकने के लिए कानूनी उपाय कितने आवश्यक हैं।



आराध्या बच्चन: एक स्टार किड, जो सुर्खियों में रहती हैं


आराध्या बच्चन, बॉलीवुड के प्रतिष्ठित बच्चन परिवार की सदस्य हैं। उनके दादा अमिताभ बच्चन और दादी जया बच्चन, दोनों भारतीय सिनेमा के दिग्गज अभिनेता रहे हैं। वहीं, उनके माता-पिता ऐश्वर्या राय और अभिषेक बच्चन भी इंडस्ट्री के प्रसिद्ध कलाकार हैं।


चूंकि आराध्या एक स्टार किड हैं, इसलिए मीडिया और फैंस की निगाहें हमेशा उन पर बनी रहती हैं। उनका स्कूल जाना, उनके फैशन सेंस और परिवार के साथ उनकी तस्वीरें अक्सर चर्चा का विषय बनती हैं। लेकिन इस बार वे एक गंभीर कारण से सुर्खियों में आईं – उनके स्वास्थ्य के बारे में झूठी खबरें फैलाई जा रही थीं।



मामले की शुरुआत: यूट्यूब चैनलों ने झूठी खबरें फैलाईं


अप्रैल 2023 में, कुछ यूट्यूब चैनलों ने दावा किया कि आराध्या बच्चन गंभीर रूप से बीमार हैं और कुछ ने तो यह तक कह दिया कि उनका निधन हो गया। इन वीडियो को वायरल कर बड़े पैमाने पर व्यूज बटोरने की कोशिश की गई।


जब इस झूठी खबर की भनक बच्चन परिवार को लगी, तो उन्होंने तुरंत दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की। इस याचिका में कहा गया कि इन वीडियो में पूरी तरह से झूठी और आधारहीन जानकारियां दी जा रही हैं, जिससे न केवल आराध्या और उनके परिवार की छवि को नुकसान हो रहा है, बल्कि यह उनकी निजता का भी उल्लंघन है।



हाईकोर्ट का सख्त रुख: गूगल को नोटिस जारी


इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति सी. हरि शंकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने की। कोर्ट ने पाया कि एक बच्चे के स्वास्थ्य को लेकर इस तरह की गलत खबरें फैलाना न केवल अनैतिक है, बल्कि गैर-कानूनी भी है।


हाईकोर्ट ने कहा:

"प्रत्येक बच्चे को सम्मान और गरिमा के साथ जीने का अधिकार है। चाहे वह किसी आम नागरिक का बच्चा हो या किसी सेलिब्रिटी का।"


कोर्ट ने गूगल को आदेश दिया कि वह:


उन सभी वीडियो को तुरंत हटाए, जो आराध्या के स्वास्थ्य को लेकर झूठी खबरें फैला रहे हैं।


इन वीडियो को अपलोड करने वाले व्यक्तियों की जानकारी, जैसे ईमेल और आईपी एड्रेस, अदालत को सौंपे।


भविष्य में भी अगर इस तरह की खबरें फैलाई जाती हैं, तो गूगल को तत्काल उन्हें अपने प्लेटफॉर्म से हटाना होगा।



गूगल का पक्ष: क्या यूट्यूब पर निगरानी संभव है?


गूगल की ओर से पेश वकील ने अदालत में तर्क दिया कि:


वे हर कंटेंट पर पहले से नजर नहीं रख सकते, क्योंकि यूट्यूब पर रोजाना लाखों वीडियो अपलोड किए जाते हैं।


लेकिन उनकी पॉलिसी के तहत यदि कोई आपत्तिजनक कंटेंट रिपोर्ट करता है, तो वे उस पर कार्रवाई कर सकते हैं।


गूगल ने यह भी दावा किया कि वे बाल अश्लीलता या अन्य संवेदनशील विषयों पर पहले से ही ज़ीरो टॉलरेंस नीति अपनाते हैं।



हालांकि, कोर्ट ने गूगल की इस दलील को पूरी तरह से खारिज कर दिया और कहा कि जब मामला एक नाबालिग बच्चे की छवि को नुकसान पहुंचाने का हो, तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए।


सोशल मीडिया और झूठी खबरों का बढ़ता खतरा


यह मामला केवल आराध्या बच्चन तक सीमित नहीं है। आज के डिजिटल युग में, सोशल मीडिया और यूट्यूब जैसे प्लेटफार्मों पर फेक न्यूज का प्रसार तेजी से हो रहा है।


सेलिब्रिटी बच्चों को टारगेट करना: स्टार किड्स अक्सर अफवाहों का शिकार बनते हैं, जिससे उनकी मानसिक शांति प्रभावित होती है।


झूठी खबरों से आम लोगों को गुमराह किया जाता है: कई बार फेक न्यूज इतनी तेजी से फैलती है कि लोग उसे सच मान लेते हैं।


क्लिकबेट कंटेंट से पैसा कमाने की होड़: कई यूट्यूब चैनल बिना किसी सत्यापन के झूठी खबरें बनाते हैं, जिससे वे अधिक व्यूज और विज्ञापन से पैसा कमा सकें।



कानूनी दृष्टिकोण: झूठी खबरों के खिलाफ क्या कदम उठाए जा सकते हैं?


भारत में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (IT Act) के तहत ऐसे मामलों में कार्रवाई की जा सकती है।


आईटी अधिनियम की धारा 66A: अगर कोई व्यक्ति सोशल मीडिया पर गलत और आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।


मानहानि कानून (Defamation Laws): यदि किसी झूठी खबर से किसी व्यक्ति की छवि खराब होती है, तो वह कानूनी शिकायत कर सकता है।


नाबालिग बच्चों के अधिकार: भारत में नाबालिग बच्चों की निजता की रक्षा के लिए सख्त कानून मौजूद हैं।



क्या यह फैसला इंटरनेट पर झूठी खबरों को रोकने में मदद करेगा?


यह मामला इंटरनेट पर फेक न्यूज और अफवाहों को लेकर एक मिसाल साबित हो सकता है। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद:


1. गूगल और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स को अधिक सतर्क रहना होगा।



2. झूठी खबरें फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।



3. दूसरे सेलिब्रिटी और आम लोग भी अपनी निजता की रक्षा के लिए कानूनी रास्ता अपना सकते हैं।


निष्कर्ष: डिजिटल जिम्मेदारी और कानूनी उपाय जरूरी


आराध्या बच्चन का यह मामला हमें यह सिखाता है कि इंटरनेट की आजादी के साथ जिम्मेदारी भी जरूरी है। किसी भी व्यक्ति, खासकर नाबालिग बच्चों के बारे में झूठी खबरें फैलाना न केवल अनैतिक, बल्कि कानूनी रूप से भी गलत है।


इस फैसले से यह साफ हो गया कि:


सोशल मीडिया और यूट्यूब प्लेटफार्म्स को अपनी नीतियों को और सख्त बनाना होगा।


इंटरनेट यूजर्स को भी जिम्मेदारी से कंटेंट शेयर करना चाहिए।


झूठी खबरों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करना जरूरी है।



आराध्या बच्चन और उनके परिवार ने न्याय की दिशा में जो कदम उठाया है, वह अन्य लोगों के लिए भी एक उदाहरण बनेगा और भविष्य में फेक न्यूज के प्रसार पर रोक लगाने में मदद करेगा।



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