तमिलनाडु को पीएम स्कूल खोलने के लिए मजबूर करने के लिए केंद्र रोक रहा है फंड: मंत्री

तमिलनाडु को पीएम स्कूल खोलने के लिए मजबूर करने के लिए केंद्र रोक रहा है फंड: मंत्री

तमिलनाडु सरकार और केंद्र सरकार के बीच एक बार फिर से टकराव देखने को मिल रहा है। राज्य के स्कूल शिक्षा मंत्री ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार तमिलनाडु के शिक्षा क्षेत्र के लिए निर्धारित फंड को रोक रही है, जिससे राज्य सरकार की योजनाएं प्रभावित हो रही हैं। उनका कहना है कि केंद्र सरकार तमिलनाडु पर पीएम स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया (PM SHRI) योजना लागू करने का दबाव बना रही है, जबकि राज्य सरकार अपनी स्वतंत्र शिक्षा नीतियों को जारी रखना चाहती है। इस मुद्दे ने शिक्षा क्षेत्र में राजनीति को फिर से गर्मा दिया है।

तमिलनाडु को पीएम स्कूल खोलने के लिए मजबूर करने के लिए केंद्र रोक रहा है फंड: मंत्री


1. केंद्र सरकार ने तमिलनाडु के शिक्षा फंड को क्यों रोका?


तमिलनाडु सरकार के स्कूल शिक्षा मंत्री ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार PM SHRI योजना लागू करने का दबाव बना रही है और जबरदस्ती इस योजना को राज्य में लागू करने के लिए शिक्षा फंड को रोक दिया गया है।


मंत्री ने कहा,

"हमारी सरकार राज्य में शिक्षा सुधारों के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन केंद्र सरकार जरूरी फंड जारी नहीं कर रही, जिससे हमारे स्कूलों पर असर पड़ रहा है।"


2. PM SHRI योजना क्या है और यह तमिलनाडु के लिए क्यों विवादित है?


PM SHRI योजना के मुख्य बिंदु:


✅ योजना लॉन्च: 2022 में केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई।

✅ लक्ष्य: देशभर के 14,500 स्कूलों को अपग्रेड करना।

✅ फंडिंग: 60% केंद्र सरकार और 40% राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता है।

✅ मुख्य उद्देश्य:


आधुनिक स्मार्ट क्लासरूम


डिजिटल लाइब्रेरी


नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP 2020) का पालन


तमिलनाडु सरकार इस योजना का विरोध क्यों कर रही है?


✅ राज्य सरकार की स्वतंत्र शिक्षा नीति को प्राथमिकता देना।

✅ स्थानीय योजनाओं को प्रभावित करने की आशंका।

✅ संघीय ढांचे में हस्तक्षेप का आरोप।


3. तमिलनाडु सरकार का पक्ष: अपने शिक्षा मॉडल पर भरोसा


तमिलनाडु सरकार पहले से ही कई शिक्षा सुधार योजनाओं को चला रही है, जिससे राज्य के सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाया जा रहा है।


तमिलनाडु की मौजूदा शिक्षा योजनाएं:


📌 पुधुमई पेन योजना – 6वीं से 12वीं कक्षा की छात्राओं को आर्थिक सहायता।

📌 इलम थेड़ी कल्वी योजना – स्कूल छोड़ चुके बच्चों को फिर से शिक्षा से जोड़ना।

📌 नम्मा स्कूल फाउंडेशन – सरकारी स्कूलों में डिजिटल लर्निंग और इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार।


राज्य सरकार का मानना है कि अगर वे PM SHRI योजना को स्वीकार करते हैं, तो केंद्र सरकार उनके शिक्षा सिस्टम में हस्तक्षेप कर सकती है।


4. केंद्र सरकार का तर्क: PM SHRI योजना सभी राज्यों के लिए फायदेमंद


केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि PM SHRI योजना पूरे देश के छात्रों के हित में बनाई गई है।


➡ "PM SHRI योजना सभी राज्यों के लिए लाभकारी है। तमिलनाडु को इसे राजनीति से नहीं जोड़ना चाहिए और अपने छात्रों को बेहतर शिक्षा देने के लिए इस योजना का लाभ उठाना चाहिए।"


बीजेपी ने डीएमके सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि तमिलनाडु सरकार केवल राजनीति कर रही है और छात्रों का नुकसान कर रही है।


5. शिक्षा फंड विवाद से तमिलनाडु पर क्या असर पड़ेगा?


✅ सरकारी स्कूलों में फंडिंग की समस्या हो सकती है।

✅ छात्रों के लिए नई योजनाओं का क्रियान्वयन प्रभावित हो सकता है।

✅ संघीय ढांचे पर बहस और गहरी हो सकती है।


तमिलनाडु सरकार का कहना है कि केंद्र सरकार जानबूझकर राज्यों को उनकी स्वतंत्र नीतियों से हटाने का प्रयास कर रही है।


6. संघीय ढांचे पर असर: क्या यह राज्यों के अधिकारों में दखल है?


शिक्षा एक समवर्ती सूची (Concurrent List) का विषय है, जिसका मतलब है कि राज्य और केंद्र दोनों इस पर नीतियां बना सकते हैं।


🔹 तमिलनाडु सरकार का तर्क है कि राज्य सरकारों को शिक्षा नीतियों में स्वतंत्रता मिलनी चाहिए।

🔹 केंद्र सरकार चाहती है कि PM SHRI योजना पूरे देश में लागू हो।


7. निष्कर्ष: आगे क्या होगा?


इस विवाद से यह साफ हो गया है कि तमिलनाडु और केंद्र सरकार के बीच संघीय अधिकारों को लेकर एक बड़ा टकराव है।


✅ तमिलनाडु सरकार अपने फैसले पर कायम रहती है या नहीं, यह देखना होगा।

✅ क्या केंद्र सरकार इस विवाद को सुलझाने के लिए वैकल्पिक रास्ता अपनाएगी?


अब सवाल यह है कि क्या तमिलनाडु के छात्र इस विवाद से प्रभावित होंगे या राज्य सरकार अपनी शिक्षा नीति को मजबूती से लागू रख पाएगी?



8. आपकी राय क्या है?


💬 क्या तमिलनाडु सरकार को PM SHRI योजना लागू करनी चाहिए या अपनी शिक्षा नीति जारी रखनी चाहिए?

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