ट्रंप ने भारत के ‘बहुत ऊँचे’ टैरिफ की आलोचना की, मोदी ने समाधान की कोशिश की
परिचय
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत द्वारा अमेरिकी वस्तुओं पर लगाए गए ऊँचे टैरिफ (शुल्क) की आलोचना की है। उन्होंने इसे "बहुत ऊँचा" और "अस्वीकार्य" बताया है। ट्रंप के ये बयान ऐसे समय में आए हैं जब भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व्यापार विवादों के समाधान की कोशिश कर रहे हैं। यह मुद्दा अमेरिका और भारत के द्विपक्षीय संबंधों में लंबे समय से विवाद का कारण बना हुआ है।
इस ब्लॉग में हम अमेरिका-भारत व्यापार संबंधों की पृष्ठभूमि, ट्रंप द्वारा उठाए गए टैरिफ से जुड़े मुद्दों, मोदी सरकार की प्रतिक्रिया और इस व्यापारिक तनाव के वैश्विक प्रभावों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
अमेरिका-भारत व्यापार संबंधों की पृष्ठभूमि
भारत और अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हैं। दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध दशकों पुराने हैं, लेकिन इन रिश्तों में हमेशा चुनौतियाँ रही हैं। अमेरिका को लगता है कि भारत उसकी वस्तुओं पर अनावश्यक रूप से ऊँचे टैरिफ लगाता है, जिससे अमेरिकी उत्पाद भारत में महंगे हो जाते हैं।
दूसरी ओर, भारत का तर्क है कि वह अपने घरेलू उद्योगों को बचाने के लिए ये शुल्क लगाता है और अमेरिका भी कई भारतीय उत्पादों पर टैरिफ लगाता है।
भारत पर ट्रंप की पुरानी नाराजगी
डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति रहते हुए कई बार भारत की व्यापार नीतियों की आलोचना की थी। उन्होंने भारत को "टैरिफ किंग" कहा था, क्योंकि भारत कई अमेरिकी उत्पादों पर ऊँचे आयात शुल्क लगाता है।
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हार्ले-डेविडसन मोटरसाइकिल: ट्रंप की सबसे बड़ी शिकायत हार्ले-डेविडसन मोटरसाइकिलों पर लगाए गए ऊँचे टैरिफ को लेकर थी। भारत ने पहले इन पर 100% आयात शुल्क लगाया था, जिसे ट्रंप के दबाव में 50% कर दिया गया, लेकिन ट्रंप फिर भी इससे संतुष्ट नहीं थे।
कृषि उत्पाद: अमेरिका भारतीय बाजार में अपने कृषि उत्पादों (जैसे कि बादाम, सेब, दालें) की अधिक बिक्री चाहता था, लेकिन भारत इन पर ऊँचे टैरिफ लगाता है।
चिकित्सा उपकरण: ट्रंप ने मेडिकल डिवाइसेस, जैसे स्टेंट और घुटने के इम्प्लांट्स पर भारत द्वारा लगाए गए शुल्क की भी आलोचना की थी।
ट्रंप का ताज़ा बयान – क्या कहा और क्यों?
डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक बयान में फिर से भारत पर ऊँचे टैरिफ लगाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा:
"भारत अमेरिकी उत्पादों पर बहुत ऊँचे शुल्क लगाता है। यह अस्वीकार्य है। अगर मैं फिर से राष्ट्रपति बना, तो इसे ठीक किया जाएगा।"
ट्रंप के इस बयान के कई मायने हैं:
1. चुनावी रणनीति – ट्रंप 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए प्रचार कर रहे हैं और अमेरिकी व्यापारियों का समर्थन हासिल करना चाहते हैं।
2. व्यापार नीति – ट्रंप पहले भी व्यापार युद्ध छेड़ चुके हैं, खासकर चीन और भारत जैसे देशों के खिलाफ।
3. भारत पर दबाव – ट्रंप चाहते हैं कि भारत अमेरिकी वस्तुओं पर कम टैरिफ लगाए, ताकि अमेरिकी कंपनियों को फायदा हो।
मोदी सरकार की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार भारत के व्यापारिक हितों की रक्षा करते हुए अमेरिका के साथ संबंध मजबूत करना चाहती है। मोदी सरकार ने ट्रंप प्रशासन के कार्यकाल में कई समझौते किए थे, लेकिन टैरिफ को पूरी तरह हटाने पर सहमति नहीं बनी थी।
मोदी सरकार ने इस मुद्दे पर संतुलित रुख अपनाया है:
टैरिफ में आंशिक कटौती: भारत ने कुछ उत्पादों पर आयात शुल्क कम किया है, लेकिन सभी पर नहीं।
अमेरिका से वार्ता: भारत अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता कर रहा है ताकि दोनों पक्षों को स्वीकार्य समाधान निकाला जा सके।
'मेक इन इंडिया' नीति: मोदी सरकार घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना चाहती है, जिससे आयात कम हो और स्वदेशी कंपनियों को लाभ मिले।
क्या यह विवाद भारत-अमेरिका संबंधों को प्रभावित करेगा?
भारत और अमेरिका कई मामलों में व्यापारिक प्रतिद्वंद्वी हैं, लेकिन दोनों देश एक-दूसरे के लिए बहुत ज़रूरी भी हैं।
संभावित प्रभाव:
✅ अमेरिका का दबाव बढ़ेगा – अगर ट्रंप दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं, तो वह भारत पर टैरिफ घटाने का अधिक दबाव डाल सकते हैं।
✅ भारत का रुख – भारत अपने राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेगा, लेकिन वार्ता के जरिए समाधान निकालने की कोशिश करेगा।
✅ वैश्विक व्यापार पर असर – अमेरिका और भारत के बीच व्यापार तनाव का असर वैश्विक सप्लाई चेन पर भी पड़ सकता है।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत के ऊँचे टैरिफ की आलोचना कोई नई बात नहीं है। उन्होंने पहले भी भारत की व्यापार नीतियों पर सवाल उठाए हैं और भविष्य में भी यह मुद्दा बना रह सकता है। हालाँकि, भारत और अमेरिका दोनों के आर्थिक और रणनीतिक हित आपस में जुड़े हुए हैं, इसलिए यह विवाद किसी बड़े व्यापार युद्ध में तब्दील होने की संभावना नहीं है।
मोदी सरकार भारत के व्यापारिक हितों की रक्षा करते हुए अमेरिका के साथ सहयोग जारी रखना चाहती है। आने वाले समय में भारत-अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता इस मुद्दे का समाधान निकाल सकती है।
आपका क्या विचार है? क्या भारत को अमेरिकी दबाव में आकर अपने टैरिफ कम करने चाहिए? कमेंट में अपनी राय बताइए!
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