महाराष्ट्र मंत्री ने दिया इस्तीफा, क़रीबी सहयोगी सरपंच हत्या मामले में गिरफ्तार
मुंबई, मार्च 2025: महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा भूचाल तब आया जब राज्य के एक मंत्री ने अपने क़रीबी सहयोगी की गिरफ्तारी के बाद इस्तीफा दे दिया। उनके सहयोगी को एक गांव के सरपंच की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया है। इस घटना के बाद राज्य में सियासी घमासान मच गया है, विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है।
मंत्री का इस्तीफा और बढ़ता विवाद
राज्य सरकार में महत्वपूर्ण पद संभाल रहे मंत्री ने देर रात अपने इस्तीफे की घोषणा की। उनका कहना है कि वे चाहते हैं कि जांच निष्पक्ष तरीके से हो और उनके पद पर रहते हुए कोई दखल न हो। हालांकि, विपक्ष इस मामले को लेकर सरकार पर हमलावर हो गया है और आरोप लगा रहा है कि अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण दिया जा रहा है।
इस्तीफे के बाद मंत्री ने कहा, "मैं इस मामले की निष्पक्ष जांच चाहता हूँ। मुझ पर कोई व्यक्तिगत आरोप नहीं है, लेकिन मेरे सहयोगी की गिरफ्तारी से यह मामला राजनीतिक रंग ले चुका है।"
सरपंच की हत्या और जांच की स्थिति
सरपंच की हत्या कुछ दिन पहले हुई थी, जब अज्ञात हमलावरों ने उन पर ताबड़तोड़ गोलियां चला दीं। घटना के बाद स्थानीय पुलिस ने जांच शुरू की और जल्द ही शक की सुई मंत्री के क़रीबी सहयोगी की ओर घूम गई !
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पुलिस सूत्रों के अनुसार, सरपंच की हत्या के पीछे राजनीतिक दुश्मनी बताई जा रही है। प्राथमिक जांच में पता चला है कि सरपंच और मंत्री के सहयोगी के बीच ज़मीन विवाद और ग्राम पंचायत के कुछ मुद्दों को लेकर मतभेद चल रहे थे।
मामले की जांच और विपक्ष के आरोप
जांच एजेंसियों का कहना है कि मंत्री के सहयोगी के खिलाफ कई सबूत मिले हैं, जिसमें कॉल रिकॉर्ड, सीसीटीवी फुटेज और कुछ गवाहों के बयान शामिल हैं। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि हत्या की साजिश में और कौन-कौन शामिल था।
विपक्षी दलों ने इस मामले को लेकर सरकार पर जमकर निशाना साधा है। विपक्ष के नेता ने कहा, "यह घटना दिखाती है कि सरकार में बैठे लोग अपराधियों को संरक्षण दे रहे हैं। यदि मंत्री निर्दोष हैं तो उन्हें अपनी पार्टी और जनता को जवाब देना चाहिए।"
राजनीतिक हलचल और संभावित असर
महाराष्ट्र में यह मामला आने वाले समय में सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। विपक्ष इस मुद्दे को विधानसभा में उठाने की तैयारी कर रहा है, जबकि जनता के बीच भी इस हत्या को लेकर गुस्सा देखा जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि जांच में मंत्री की सीधी संलिप्तता पाई जाती है तो यह सरकार की छवि के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है।
निष्कर्ष
सरपंच की हत्या का मामला अब केवल एक आपराधिक जांच तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा मुद्दा बन चुका है। मंत्री के इस्तीफे के बाद भी विपक्ष शांत बैठने के मूड में नहीं है। अब देखना होगा कि जांच में आगे क्या खुलासे होते हैं और क्या सरकार इस राजनीतिक संकट से उबर पाएगी।
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