अक्षय तृतीया 2025: जानिए इसका महत्व, पूजन विधि और शुभ कार्य 🌼🪔

अक्षय तृतीया 2025: जानिए इसका महत्व, पूजन विधि और शुभ कार्य 🌼🪔


परिचय: अक्षय तृतीया क्या है?

अक्षय तृतीया, जिसे आम बोलचाल में आखा तीज भी कहा जाता है, हिंदू धर्म का एक पावन पर्व है जिसे वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। "अक्षय" शब्द का अर्थ है – जो कभी खत्म न हो। यानी इस दिन किए गए पुण्य कार्य, दान, खरीददारी या धार्मिक अनुष्ठान का फल कभी समाप्त नहीं होता।

अक्षय तृतीया 2025 कब है? 🗓️

तिथि: 30 अप्रैल 2025, बुधवार

पूजा मुहूर्त: सुबह 5:45 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक (स्थानीय पंचांग अनुसार भिन्न हो सकता है)

अक्षय तृतीया का पौराणिक महत्व 📜

1. भगवान परशुराम का जन्मदिन

इस दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी का जन्म हुआ था। इसलिए इसे परशुराम जयंती के रूप में भी मनाया जाता है।

2. अन्नपूर्णा देवी का प्राकट्य

मां अन्नपूर्णा, जो भोजन की देवी मानी जाती हैं, इसी दिन प्रकट हुई थीं। अत: अन्नदान का विशेष महत्व है।

3. पांडवों को अक्षय पात्र प्राप्त हुआ

महाभारत के अनुसार, इस दिन पांडवों को अक्षय पात्र प्राप्त हुआ था जिससे अन्न कभी समाप्त नहीं होता था।

4. महाभारत का लेखन शुरू हुआ

महर्षि वेदव्यास ने इसी दिन भगवान गणेश की सहायता से महाभारत का लेखन शुरू किया।

अक्षय तृतीया के दिन किए जाने वाले शुभ कार्य ✅

अक्षय तृतीया की पूजा विधि 🪔

सामग्री:

अक्षत (चावल), फूल, दीपक, गंगाजल, तांबे या पीतल का कलश, तुलसी पत्ता

भगवान विष्णु, लक्ष्मी माता और परशुराम जी की प्रतिमा या चित्र

विधि:

1. स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें

2. घर के मंदिर को साफ करके कलश स्थापित करें

3. भगवान को पुष्प, धूप-दीप, नैवेद्य और जल अर्पित करें

4. विष्णु सहस्त्रनाम या लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें

5. जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, जल और धन का दान करें

सोना खरीदने की परंपरा क्यों है? 🪙

इस दिन सोना खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि अक्षय तृतीया पर खरीदा गया सोना सद्भाग्य, समृद्धि और स्थायी लक्ष्मी का प्रतीक होता है। इसे भविष्य की सुरक्षा और उन्नति का संकेत माना गया है।

विवाह के लिए क्यों होता है विशेष?

अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त कहा जाता है, जिसका मतलब होता है – ऐसा दिन जब किसी भी शुभ कार्य के लिए पंचांग देखने की आवश्यकता नहीं होती। इस कारण इस दिन कई विवाह संपन्न होते हैं।

दान का महत्व ✨


अक्षय तृतीया और जैन धर्म

जैन धर्म में अक्षय तृतीया का विशेष महत्व है। मान्यता है कि भगवान ऋषभदेव (प्रथम तीर्थंकर) ने एक वर्ष का उपवास करने के बाद इसी दिन इक्षु रस (गन्ने का रस) ग्रहण कर पर्युषण को समाप्त किया था।

आधुनिक युग में अक्षय तृतीया 🏙️

आजकल लोग इस दिन को सोना, ज्वेलरी, घर, गाड़ी या शेयर में निवेश के लिए भी शुभ मानते हैं। डिजिटल युग में लोग ऑनलाइन दान, ई-वॉलेट से पूजा सामग्री खरीदना और डिजिटल गोल्ड भी पसंद करते हैं।

अक्षय तृतीया पर क्या न करें? ❌

क्रोध, झूठ और छल से बचें

अनावश्यक व्यय न करें

किसी को अपशब्द न कहें

तामसिक भोजन जैसे मांस, मदिरा आदि से परहेज करें

अक्षय तृतीया से जुड़े प्रेरक वाक्य ✍️

“जो भी शुभ कार्य अक्षय तृतीया पर किया जाए, उसका फल अक्षय होता है।”

“धर्म, दान और पूजा से अक्षय पुण्य अर्जित करें।”

“यह दिन नहीं, अवसर है पुन्य और समृद्धि का 

FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न ❓

Q1: अक्षय तृतीया का मतलब क्या है?

"अक्षय" का अर्थ होता है – जो कभी समाप्त न हो। यह दिन शुभ कार्यों, दान और खरीदारी के लिए बहुत फलदायक माना जाता है।


Q2: अक्षय तृतीया पर क्या खरीदना शुभ है?

सोना, चांदी, भूमि, वाहन या घर की खरीदारी करना शुभ होता है।


Q3: क्या इस दिन शादी करना अच्छा होता है?

हां, यह एक अबूझ मुहूर्त होता है और बिना मुहूर्त देखे शादी की जा सकती है।


Q4: क्या उपवास आवश्यक है?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, उपवास करना पुण्यदायक है लेकिन अनिवार्य नहीं।


Q5: इस दिन कौन से देवी-देवता की पूजा करनी चाहिए?

भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और भगवान परशुराम की पूजा करना श्रेष्ठ माना जाता है।

निष्कर्ष 🌟

अक्षय तृतीया 2025 केवल एक तिथि नहीं, बल्कि अवसर है अच्छे कर्म, दान, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का। यह दिन हमें यह सिखाता है कि सत्कर्म कभी व्यर्थ नहीं जाते।

इस पावन अवसर पर आइए हम सब मिलकर शुभ कार्य करें, दूसरों की मदद करें और ईश्वर की कृपा प्राप्त करें।

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