Narsingh Jayanti (नृसिंह जयंती) 2025: भगवान नृसिंह की कथा, महत्व, पूजा विधि और संपूर्ण जानकारी

Narsingh Jayanti 2025

प्रस्तावना

हिन्दू धर्म में भगवान विष्णु के दशावतारों का अत्यंत महत्व है, और उनमें से भगवान नृसिंह का अवतार सबसे रहस्यमय और चमत्कारी माना जाता है। नृसिंह जयंती भगवान विष्णु के इसी चौथे अवतार के प्राकट्य का पर्व है। यह पर्व वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को पूरे श्रद्धा और भक्ति भाव से मनाया जाता है। मान्यता है कि भगवान विष्णु ने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए नृसिंह रूप में प्रकट होकर अधर्म और अत्याचार का अंत किया था। यह अवतार यह भी दर्शाता है कि भगवान अपने भक्तों की रक्षा के लिए किसी भी रूप में प्रकट हो सकते हैं। 

Narsingh Jayanti 2025


नृसिंह जयंती को लेकर भक्तों में विशेष उत्साह रहता है और यह पर्व पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है।

भगवान नृसिंह के अवतार की पौराणिक कथा

नृसिंह अवतार से जुड़ी कथा अत्यंत प्रेरणादायक है। दैत्यराज हिरण्यकश्यप ने ब्रह्माजी से वरदान प्राप्त किया था कि उसे न कोई मानव मार सकेगा, न कोई पशु; न दिन में न रात में; न आकाश में न पृथ्वी पर; न अस्त्र से न शस्त्र से। इस वरदान के कारण हिरण्यकश्यप ने पूरे संसार में आतंक फैला दिया। उसने स्वयं को भगवान घोषित कर दिया और सभी से अपनी पूजा करवाने लगा। लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। हिरण्यकश्यप ने उसे कई बार मारने की कोशिश की, लेकिन हर बार भगवान विष्णु ने उसकी रक्षा की।

अंततः जब हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद से पूछा कि क्या तेरा भगवान हर जगह मौजूद है, प्रह्लाद ने हां कहा। हिरण्यकश्यप ने क्रोध में खंभे की ओर इशारा किया और पूछा कि क्या तेरे भगवान इस खंभे में भी हैं? तभी भगवान विष्णु ने खंभे से प्रकट होकर नृसिंह अवतार लिया। भगवान ने संध्या काल में हिरण्यकश्यप को अपनी गोद में रखकर अपने नाखूनों से मार डाला और इस प्रकार सभी वरदानों की शर्तों को पार कर अधर्म का अंत किया।

नृसिंह जयंती 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

2025 में नृसिंह जयंती 10 मई को मनाई जाएगी। इस दिन व्रत और पूजा का विशेष महत्व होता है। ज्योतिषियों के अनुसार इस दिन शुभ मुहूर्त में भगवान नृसिंह की पूजा करने से जीवन में सभी प्रकार की समस्याओं से मुक्ति मिलती है और सुख-शांति का वास होता है।

तिथि: शनिवार, 10 मई 2025

चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: सुबह 10:15 बजे (9 मई)

चतुर्दशी तिथि समाप्त: अगले दिन सुबह 8:50 बजे (10 मई)

पूजा मुहूर्त: शाम 4:30 बजे से रात 7:00 बजे तक

नृसिंह जयंती व्रत का महत्व और उपवास विधि

नृसिंह जयंती के दिन उपवास रखना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह उपवास भक्तों को मानसिक शांति, स्वास्थ्य लाभ और शत्रु बाधाओं से मुक्ति प्रदान करता है। इस दिन भक्त दिनभर उपवास रखते हैं और शाम के समय भगवान नृसिंह की पूजा-अर्चना करते हैं। उपवास के दौरान भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करना और नृसिंह कवच का पाठ करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। पूजा में विशेष रूप से पंचामृत, पुष्प, धूप, दीप, नारियल और फल अर्पित किए जाते हैं। पूजा के बाद कथा श्रवण करना और आरती करना भी आवश्यक होता है।

भगवान नृसिंह की पूजा विधि

नृसिंह जयंती की पूजा विधि में विशेष सावधानियां रखनी चाहिए। सुबह जल्दी उठकर स्नान कर व्रत का संकल्प लें। पूजा स्थल को शुद्ध करें और भगवान नृसिंह की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। इसके बाद पंचामृत से भगवान का अभिषेक करें। भगवान को ताजे पुष्प, तुलसी के पत्ते, नारियल, और फल अर्पित करें। दीप जलाकर भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें। आप “ॐ क्ष्रौं नृसिंहाय नमः” मंत्र का जाप कर सकते हैं। इसके अलावा नृसिंह चालीसा और नृसिंह कवच का पाठ करने से विशेष पुण्य लाभ मिलता है। पूजा के बाद आरती करें और प्रसाद बांटें।

नृसिंह जयंती से जुड़े प्रसिद्ध मंदिर

भारत में भगवान नृसिंह के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, जहां इस पर्व को विशेष उत्साह से मनाया जाता है। आंध्र प्रदेश में स्थित अहोबलम नृसिंह मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। इसके अलावा तेलंगाना का यादगिरी गुट्टा मंदिर, कर्नाटक का लक्ष्मी नृसिंह मंदिर, और मध्य प्रदेश का कालियासोत नृसिंह मंदिर भी बहुत प्रसिद्ध हैं। इन मंदिरों में विशेष आयोजन होते हैं और भक्त बड़ी संख्या में दर्शन के लिए आते हैं।

नृसिंह जयंती का आध्यात्मिक महत्व

भगवान नृसिंह का अवतार हमें यह सिखाता है कि जब भक्त सच्चे मन से भगवान की शरण में आता है, तो भगवान उसकी रक्षा अवश्य करते हैं। यह पर्व अधर्म और अन्याय के विरुद्ध धर्म और न्याय की विजय का प्रतीक है। नृसिंह जयंती के माध्यम से हमें जीवन में धैर्य, आस्था और भक्ति का संदेश मिलता है। यह पर्व यह भी सिखाता है कि चाहे विपत्ति कितनी भी बड़ी क्यों न हो, भगवान पर विश्वास रखने वाले को कोई क्षति नहीं पहुंचा सकता।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)

Q1. नृसिंह जयंती क्यों मनाई जाती है?

Ans. यह भगवान विष्णु के नृसिंह अवतार के प्रकट होने की स्मृति में मनाई जाती है, जब उन्होंने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए हिरण्यकश्यप का वध किया था।


Q2. नृसिंह जयंती पर कौन सा मंत्र पढ़ना चाहिए?

Ans. “ॐ क्ष्रौं नृसिंहाय नमः” मंत्र और नृसिंह कवच का पाठ करना शुभ होता है।


Q3. उपवास कैसे रखना चाहिए?

Ans. भक्त सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लें और दिनभर उपवास रखें। शाम को भगवान नृसिंह की पूजा के बाद ही अन्न ग्रहण करें।


Q4. नृसिंह अवतार की सबसे प्रमुख विशेषता क्या है?

Ans. भगवान नृसिंह का रूप अद्वितीय है क्योंकि वे आधे मानव और आधे सिंह के रूप में प्रकट हुए थे।

निष्कर्ष

नृसिंह जयंती न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह जीवन में आस्था, भक्ति और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी देती है। भगवान नृसिंह का अवतार यह सिखाता है कि जब अन्याय अपनी चरम सीमा पर होता है, तब भगवान स्वयं प्रकट होकर अधर्म का नाश करते हैं और अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। आप भी इस नृसिंह जयंती पर भगवान नृसिंह की पूजा-अर्चना कर उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सुख, शांति और समृद्धि से भर सकते हैं।

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