अमरीश पुरी की बरसी– बॉलीवुड के मोगैंबो का जीवन परिचय, करियर, फिल्में और उपलब्धियाँ
⭐ प्रस्तावना
भारतीय सिनेमा में खलनायकों की बात होते ही एक नाम बड़े गर्व से लिया जाता है – अमरीश पुरी। उन्होंने हिंदी सिनेमा में खलनायकी को एक नई पहचान दी। उनकी भारी-भरकम आवाज, अद्वितीय संवाद शैली और मंच पर उनकी उपस्थिति ने उन्हें भारतीय सिनेमा के सबसे यादगार और प्रभावशाली अभिनेताओं में से एक बना दिया। एक ऐसा कलाकार जिसने न केवल बॉलीवुड में बल्कि हॉलीवुड में भी अपनी गहरी छाप छोड़ी। उनका जीवन प्रेरणा से भरा हुआ है, जिसमें संघर्ष, समर्पण और सफलता की एक अद्भुत यात्रा शामिल है।
👶 प्रारंभिक जीवन
अमरीश पुरी का जन्म 22 जून 1932 को नवांशहर (अब शहीद भगत सिंह नगर), पंजाब में हुआ था। वह एक पंजाबी परिवार से थे और उनके परिवार में कुल पाँच भाई-बहन थे। उनके पिता का नाम लाला निहाल चंद पुरी और माता का नाम वेद कौर था। उनके दो बड़े भाई मदन पुरी और चमन पुरी पहले से ही फिल्म इंडस्ट्री में काम कर रहे थे।
बाल्यकाल से ही अमरीश पुरी में अभिनय के प्रति रुचि थी। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पंजाब में प्राप्त की और बाद में शिमला के बी.एम. कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की। पढ़ाई पूरी करने के बाद वे मुंबई आ गए जहाँ उन्होंने भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) में एक कार्यालय सहायक के रूप में नौकरी शुरू की। यह नौकरी उन्होंने इसलिए की क्योंकि फिल्मों में प्रवेश करने के उनके प्रयास असफल रहे थे।
🎭 फ़िल्मी करियर की शुरुआत
अभिनेता बनने की इच्छा से प्रेरित होकर अमरीश पुरी ने 1950 के दशक में फ़िल्म उद्योग में कदम रखा, लेकिन उन्हें पहले प्रयास में असफलता हाथ लगी।
थियेटर की दुनिया:
उन्होंने हार नहीं मानी और थियेटर की ओर रुख किया। उन्होंने प्रथ्वी थियेटर और सत्यदेव दुबे जैसे प्रसिद्ध रंगमंच निर्देशकों के साथ काम किया। यहीं से उनके अभिनय कौशल को एक नई दिशा मिली। उन्होंने हिंदी, मराठी, और उर्दू नाटकों में अभिनय कर अपने आप को साबित किया। रंगमंच पर उनके योगदान को आज भी उच्च स्तर का माना जाता है।
🎬 बॉलीवुड में प्रवेश और सफलता
अमरीश पुरी को फ़िल्मों में पहला बड़ा ब्रेक 1971 की फ़िल्म 'राखी और हथकड़ी' से मिला। लेकिन उन्हें असली पहचान 1980 के दशक में मिली जब उन्होंने लगातार कई सुपरहिट फ़िल्मों में काम किया।
उनकी खलनायकी की विशेषता थी – दमदार संवाद, गूंजती हुई आवाज़ और एक ऐसा हावभाव जो दर्शकों को डर के साथ-साथ आकर्षित भी करता था। उन्होंने कई हिंदी, पंजाबी, तमिल, तेलुगू और मलयालम फिल्मों में अभिनय किया।
प्रमुख फ़िल्में:
मिस्टर इंडिया (1987): मोगैंबो का किरदार, जिसने उन्हें हर उम्र के दर्शकों में लोकप्रिय बना दिया।
दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे (1995): इसमें उन्होंने एक कठोर लेकिन अंततः भावनात्मक पिता की भूमिका निभाई।
नायक (2001): मुख्यमंत्री बलराज चौहान के किरदार में वे खूब जमे।
करण अर्जुन, दामिनी, विश्वात्मा, कोयला, त्रिदेव, नगीना, घायल जैसी फिल्मों में भी उन्होंने यादगार भूमिकाएं निभाईं।
🔥 सबसे प्रसिद्ध किरदार – मोगैंबो
1987 में आई फिल्म 'मिस्टर इंडिया' में उनका निभाया गया किरदार मोगैंबो भारतीय सिनेमा का सबसे प्रतिष्ठित विलेन किरदार बन गया।
मोगैंबो के बारे में:
यह किरदार एक सनकी वैज्ञानिक और तानाशाह का था जो दुनिया पर राज करना चाहता है। उसका मशहूर डायलॉग – "मोगैंबो खुश हुआ!" – आज भी लोगों की जुबान पर है। यह डायलॉग बॉलीवुड इतिहास का सबसे चर्चित संवाद बन गया।
मोगैंबो की पोशाक, उसका लहजा और उसकी चाल – सब कुछ अमरीश पुरी की विलक्षण अभिनय क्षमता का प्रमाण थे। यह किरदार इस हद तक लोकप्रिय हुआ कि बच्चों के लिए डर और मज़ाक दोनों का पर्याय बन गया।
🌍 हॉलीवुड में पहचान
अमरीश पुरी ने केवल भारतीय सिनेमा में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई।
हॉलीवुड फ़िल्म:
उन्होंने 1984 में प्रसिद्ध अमेरिकी फ़िल्म 'Indiana Jones and the Temple of Doom' में मोला राम नामक खलनायक की भूमिका निभाई। इस किरदार के लिए उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा गया। अमरीश पुरी की दमदार आवाज़ और स्क्रीन प्रेजेंस ने हॉलीवुड के दर्शकों को भी प्रभावित किया।
🏆 पुरस्कार और सम्मान
उनके योगदान के लिए उन्हें कई बार पुरस्कार और सम्मान मिले:
फिल्मफेयर अवॉर्ड: तीन बार 'बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर' का पुरस्कार।
महाराष्ट्र राज्य नाट्य अकादमी पुरस्कार।
थिएटर और रंगमंच में उत्कृष्ट योगदान के लिए कई क्षेत्रीय पुरस्कार।
दादा साहेब फाल्के अकादमी पुरस्कार में भी उन्हें सम्मानित किया गया।
👨👩👧 पारिवारिक जीवन
अमरीश पुरी का विवाह उर्मिला डाइवेकर से हुआ था। उनका पारिवारिक जीवन बहुत सादा और संतुलित था। उनके एक पुत्र राजीव पुरी हैं, जो व्यवसाय में सक्रिय हैं।
फिल्मी चकाचौंध के बावजूद अमरीश पुरी हमेशा पारिवारिक जीवन में संतुलन बनाए रखते थे। वह अपने परिवार के बहुत करीब थे और एक जिम्मेदार पति और पिता के रूप में जाने जाते थे।
🕯️ निधन
2004 के अंत में उन्हें मायलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम नामक एक गंभीर रक्त विकार हो गया था। इसके इलाज के दौरान उन्हें ब्रेन हेमरेज भी हुआ और उन्हें मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में भर्ती किया गया।
12 जनवरी 2005 को सुबह 7:30 बजे, इस महान अभिनेता ने अंतिम सांस ली। उनका निधन भारतीय सिनेमा के लिए एक अपूरणीय क्षति थी। उनकी अंतिम यात्रा में बॉलीवुड के तमाम सितारों ने भाग लिया और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
🧠 अमरीश पुरी की विशेषताएँ
दमदार आवाज़: उनकी भारी और प्रभावशाली आवाज ही उनकी सबसे बड़ी पहचान थी।
सशक्त अभिनय: वे अपने किरदार में पूरी तरह से ढल जाते थे।
विविधता: उन्होंने खलनायक के अलावा भी पिता, पुलिस अफसर, राजा, संत जैसे किरदारों को बखूबी निभाया।
पारंपरिकता और अनुशासन: सेट पर अनुशासन के लिए उन्हें जाना जाता था।
बिलकुल, नीचे एक विस्तृत पैराग्राफ दिया गया है जिसे आप अपनी पोस्ट में जोड़ सकते हैं:
🎭 ज्यादातर फिल्मों में खलनायक की भूमिका
अमरीश पुरी को हिंदी सिनेमा में प्रायः खलनायक की भूमिका के लिए कास्ट किया जाता था, क्योंकि उनके व्यक्तित्व में एक स्वाभाविक रोब और गंभीरता थी जो विलेन के किरदार को जीवंत कर देती थी। उनकी गूंजती आवाज, पैनी निगाहें और संवाद अदायगी में मौजूद शक्ति ने उन्हें 'सुपर विलेन' बना दिया। चाहे वह 'त्रिदेव' में भीम सिंह हो, 'नगीना' में भैरोंनाथ, या 'घायल' में बलवंत राय – उन्होंने हर भूमिका में अपनी एक अलग छाप छोड़ी। दर्शकों ने भले ही उनसे डर महसूस किया हो, लेकिन पर्दे के पीछे उनकी विनम्रता और पेशेवर व्यवहार ने उन्हें हर दिल अज़ीज़ बना दिया। अमरीश पुरी ने यह साबित किया कि खलनायक का किरदार भी उतना ही प्रभावशाली हो सकता है जितना कि नायक का।
यदि आप चाहें तो मैं इसे आपकी पूरी जीवनी में जोड़ भी सकता हूँ।
📢 प्रसिद्ध डायलॉग्स.
1. मोगैंबो खुश हुआ! – (मिस्टर इंडिया)
2. "जो धरती पर बोया जाता है, वह ऊपर नहीं उगता!" – (नगीना)
3. "यह पुलिस स्टेशन है, तुम्हारे बाप का घर नहीं!" – (अर्जुन)
4. "तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख मिलती रही है। लेकिन इंसाफ नहीं मिला, मिलती है तो सिर्फ तारीख।" – (दामिनी)
💬 प्रशंसकों की राय
फैंस के लिए अमरीश पुरी सिर्फ एक अभिनेता नहीं बल्कि एक संस्था थे। उनकी संवाद अदायगी, हाव-भाव और प्रस्तुति ऐसी थी कि दर्शक उनकी हर फिल्म में उन्हें देखने को उत्सुक रहते थे। आज भी सोशल मीडिया पर #RememberingAmrishPuri ट्रेंड करता है। नई पीढ़ी भी उनके किरदारों से परिचित होती है और उन्हें सम्मान देती है।
📺 टेलीविजन और रंगमंच में योगदान
जहाँ एक ओर अमरीश पुरी ने फिल्मों में शानदार करियर बनाया, वहीं दूसरी ओर उन्होंने रंगमंच से भी गहरा जुड़ाव बनाए रखा।
वह नियमित रूप से रंगमंच पर काम करते रहे। उन्होंने सत्यदेव दुबे, ईब्राहिम अल्काज़ी और गिरीश कर्नाड जैसे रंगकर्मियों के साथ काम किया। रंगमंच के लिए उनका योगदान आज भी छात्रों और नवोदित कलाकारों के लिए प्रेरणास्रोत है।
📚 निष्कर्ष
अमरीश पुरी का जीवन सच्चे कलाकार की मिसाल है – जो लगातार अपने काम में सुधार करता गया, जिसने संघर्षों से कभी हार नहीं मानी और जो अपनी कला से लाखों दिलों को जीतने में सफल रहा।
आज भी उनके किरदार, उनके संवाद और उनके अभिनय की गूंज भारतीय सिनेमा में सुनाई देती है। वह भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी विरासत हमेशा जीवित रहेगी।
📌 FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
प्र.1: अमरीश पुरी का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर: 22 जून 1932 को नवांशहर, पंजाब में।
प्र.2: उनका सबसे प्रसिद्ध किरदार कौन सा था?
उत्तर: मोगैंबो – फिल्म मिस्टर इंडिया में।
प्र.3: अमरीश पुरी का निधन कब हुआ था?
उत्तर: 12 जनवरी 2005 को मुंबई में।
प्र.4: क्या उन्होंने हॉलीवुड में भी काम किया है?
उत्तर: हाँ, Indiana Jones and the Temple of Doom (1984)।
प्र.5: उनके बेटे का नाम क्या है?
उत्तर: राजीव पुरी।
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