"International Literacy Day 2025: वैश्विक शिक्षा का महत्व और टॉप लिटरेसी रेट वाले देश"
✨ परिचय
आज के डिजिटल युग में शिक्षा का बहुत महत्त्व है। शिक्षा के बिना हर कोई अधूरा है। इस लिए शिक्षा हर इंसान का मूल अधिकार है। पढ़ना-लिखना सिर्फ ज्ञान अर्जित करने का साधन ही नहीं, बल्कि सामाजिक विकास, आर्थिक प्रगति और व्यक्तिगत सशक्तिकरण की कुंजी भी है। इसी महत्व को रेखांकित करने के लिए हर साल 8 सितम्बर को International Literacy Day (अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस) मनाया जाता है।
2025 में यह दिन और भी खास है क्योंकि यह हमें डिजिटल युग की चुनौतियों और अवसरों की याद दिलाता है। आज साक्षरता का मतलब केवल अक्षरज्ञान तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें डिजिटल साक्षरता, वित्तीय साक्षरता और सामाजिक जागरूकता भी शामिल है।
📜 International Literacy Day का इतिहास
1965 में ईरान के तेहरान में आयोजित UNESCO के शिक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में यह निर्णय लिया गया कि दुनिया भर में साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष दिवस होना चाहिए।
1966 में UNESCO ने 8 सितम्बर को आधिकारिक रूप से International Literacy Day घोषित किया।
पहला साक्षरता दिवस 1967 में मनाया गया और तब से हर साल इसे वैश्विक स्तर पर मनाया जा रहा है।
इस दिन का उद्देश्य है – शिक्षा की कमी और अशिक्षा से जुड़ी चुनौतियों पर ध्यान देना और समाधान निकालना।
🌟 2025 की थीम – International Literacy Day
हर साल UNESCO इस दिन को एक विशेष Theme (विषय) के साथ मनाता है।
👉 2025 की Theme है – “Promoting Literacy in the Digital Era”
(डिजिटल युग में साक्षरता को बढ़ावा देना)
यह थीम इस बात पर जोर देती है कि आज के समय में डिजिटल शिक्षा और तकनीकी ज्ञान के बिना साक्षरता अधूरी है।
📊 साक्षरता का महत्व
1. व्यक्तिगत विकास – पढ़ना-लिखना इंसान की सोच और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है।
2. सामाजिक प्रगति – साक्षर समाज में समानता, जागरूकता और शांति बनी रहती है।
3. आर्थिक विकास – साक्षरता रोजगार, उद्यमिता और नई तकनीकों के इस्तेमाल की कुंजी है।
4. स्वास्थ्य और जागरूकता – पढ़ा-लिखा व्यक्ति स्वास्थ्य, स्वच्छता और सामाजिक मुद्दों को बेहतर समझता है।
5. लोकतंत्र को मजबूत करना – साक्षर नागरिक लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी करते हैं।
🌍 वैश्विक परिदृश्य – दुनिया में साक्षरता
UNESCO की रिपोर्ट के अनुसार 2025 तक भी दुनिया भर में 750 मिलियन लोग अशिक्षित हैं।
इनमें से दो-तिहाई महिलाएँ और लड़कियाँ हैं।
अफ्रीका और दक्षिण एशिया में साक्षरता की समस्या सबसे अधिक है।
डिजिटल शिक्षा की कमी के कारण आज भी करोड़ों लोग शिक्षा से दूर हैं।
🇮🇳 भारत में साक्षरता दिवस
भारत ने पिछले दशकों में साक्षरता के क्षेत्र में बड़ी प्रगति की है।
1951 में भारत की साक्षरता दर केवल 18.3% थी।
2021 की जनगणना (provisional) के अनुसार भारत की साक्षरता दर 77.7% तक पहुँच गई है।
सरकार ने साक्षर भारत मिशन, सर्व शिक्षा अभियान, नई शिक्षा नीति 2020 जैसी योजनाएँ चलाई हैं।
डिजिटल इंडिया अभियान ने ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा और डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा दिया है।
🌍 विश्व में साक्षरता दर और 2025 में सबसे आगे देश
साक्षरता किसी भी देश की प्रगति की सबसे महत्वपूर्ण नींव मानी जाती है। वर्ष 2025 तक दुनिया के कई देशों ने अपनी शिक्षा प्रणाली को इतना मज़बूत बना लिया है कि वहाँ की साक्षरता दर लगभग 100% तक पहुँच चुकी है। रिपोर्ट्स के अनुसार यूक्रेन (Ukraine), फ़िनलैंड (Finland), नॉर्वे (Norway), एंडोरा (Andorra), लक्समबर्ग (Luxembourg) और उज्बेकिस्तान (Uzbekistan) जैसे देशों में साक्षरता दर पूरी तरह 100% है। इनमें से विशेष रूप से यूक्रेन (Ukraine) को सबसे आगे माना जाता है क्योंकि यहाँ शिक्षा व्यवस्था आधुनिक, निःशुल्क और सभी नागरिकों के लिए सुलभ है। यही कारण है कि यूक्रेन आज वैश्विक स्तर पर शिक्षा और साक्षरता के क्षेत्र में एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करता है।
भारत सहित विकासशील देश इन देशों से प्रेरणा लेकर शिक्षा के क्षेत्र में लगातार सुधार की दिशा में कार्य कर रहे हैं, ताकि आने वाले समय में विश्वभर के सभी नागरिक पढ़ने-लिखने के अधिकार का लाभ उठा सकें।
🎯 International Literacy Day मनाने का उद्देश्य
1. लोगों में शिक्षा के महत्व को जागरूक करना।
2. बच्चों, महिलाओं और पिछड़े वर्गों तक शिक्षा पहुँचाना।
3. अशिक्षा को खत्म करके बेरोजगारी और गरीबी को कम करना।
4. डिजिटल शिक्षा और नई तकनीक के उपयोग को बढ़ावा देना।
5. वैश्विक स्तर पर शिक्षा में समानता और अवसर सुनिश्चित करना।
📌 2025 में International Literacy Day की खासियत
2025 में यह दिन डिजिटल शिक्षा और AI के युग पर केंद्रित है।
दुनिया भर में ऑनलाइन शिक्षा, मोबाइल ऐप्स और वर्चुअल लर्निंग प्लेटफ़ॉर्म पर विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं।
भारत समेत कई देशों में इस दिन Digital Literacy Camps आयोजित किए जा रहे हैं।
UNESCO और अन्य संस्थान इस साल शिक्षा में तकनीक की भूमिका को और मजबूत कर रहे हैं।
🔎 आज की चुनौतियाँ
1. ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी शिक्षा की कमी।
2. लड़कियों और महिलाओं की शिक्षा में बाधाएँ।
3. डिजिटल डिवाइड – इंटरनेट और तकनीक की कमी।
4. गरीबी और बाल श्रम के कारण शिक्षा से दूरी।
5. राजनीतिक अस्थिरता और युद्ध प्रभावित देशों में शिक्षा का संकट।
💡 समाधान
मुफ्त और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की व्यवस्था।
डिजिटल तकनीक को हर गाँव और स्कूल तक पहुँचाना।
महिला शिक्षा पर विशेष ध्यान।
सामाजिक संगठनों और NGOs की भागीदारी।
शिक्षा के लिए सरकारी और निजी क्षेत्रों का सहयोग।
📸 2025 के उत्सव और आयोजन
UNESCO इस वर्ष विशेष वेबिनार और कॉन्फ्रेंस आयोजित कर रहा है।
भारत में स्कूलों और कॉलेजों में निबंध प्रतियोगिता, भाषण और सांस्कृतिक कार्यक्रम हो रहे हैं।
NGOs ग्रामीण क्षेत्रों में साक्षरता रैली और डिजिटल शिक्षा शिविर आयोजित कर रहे हैं।
सोशल मीडिया पर हैशटैग #LiteracyDay2025 ट्रेंड कर रहा है।
🙏 निष्कर्ष
International Literacy Day 2025 हमें यह याद दिलाता है कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं, बल्कि जीवन की सबसे बड़ी आवश्यकता है। यह दिन हमें प्रेरित करता है कि हम शिक्षा को सबके लिए सुलभ बनाएं और डिजिटल युग की चुनौतियों से निपटने के लिए आगे बढ़ें।
“साक्षरता से ही स्वतंत्रता, समानता और प्रगति संभव है।”
❓ FAQs – International Literacy Day 2025
Q1. International Literacy Day कब मनाया जाता है?
👉 हर साल 8 सितम्बर को।
Q2. इसे कब शुरू किया गया था?
👉 1966 में UNESCO द्वारा।
Q3. 2025 की Theme क्या है?
👉 “Promoting Literacy in the Digital Era”
Q4. भारत की साक्षरता दर कितनी है?
👉 लगभग 77.7%
Q5. साक्षरता क्यों ज़रूरी है?
👉 यह सामाजिक समानता, रोजगार, स्वास्थ्य और लोकतंत्र को मजबूत करती है।
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