Vishwakarma Jayanti 2025: क्यों मनाई जाती है और भगवान विश्वकर्मा को मशीनों का देवता क्यों मानते हैं?

Vishwakarma jayanti

✨ परिचय

भारत त्योहारों की भूमि है। यहाँ हर दिन कोई न कोई पर्व, उत्सव या खास अवसर मनाया जाता है। इन्हीं महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है Vishwakarma Jayanti, जिसे हर साल 17 सितम्बर को मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से इंजीनियरों, कारीगरों, मजदूरों और तकनीकी क्षेत्रों से जुड़े लोगों के लिए बहुत महत्व रखता है।

इस दिन को भगवान विश्वकर्मा जी को समर्पित किया गया है, जिन्हें देवताओं का शिल्पकार और वास्तुकार कहा जाता है।

लोग मानते हैं कि भगवान विश्वकर्मा ही वो दिव्य शक्ति हैं जिन्होंने स्वर्ग, लंका, द्वारका और हस्तिनापुर जैसी नगरियाँ बनाई थीं। इतना ही नहीं, उन्होंने देवताओं के लिए शक्तिशाली अस्त्र-शस्त्र भी बनाए। इसीलिए Vishwakarma Jayanti को श्रम, कौशल और सृजनात्मकता का उत्सव माना जाता है।

🙏 भगवान विश्वकर्मा का परिचय

भगवान विश्वकर्मा को देवताओं का निर्माता (Dev Shilpi) कहा जाता है।

वे ब्रह्मा जी के वंशज माने जाते हैं।

उन्होंने इंद्रपुरी (स्वर्गलोक), पुष्पक विमान, द्वारका नगरी, लंका का सुवर्ण महल जैसे चमत्कारिक निर्माण किए।

उनके बनाए अस्त्र-शस्त्रों में वज्र (इंद्र का अस्त्र), सुदर्शन चक्र (विष्णु का), त्रिशूल (शिव का) और कई अन्य दिव्य शस्त्र प्रमुख हैं।

भारतीय संस्कृति में उनका स्थान केवल एक देवता का नहीं, बल्कि मेहनतकश वर्ग के प्रेरणास्रोत का है।

👉 इसी कारण मजदूर, कारीगर, इंजीनियर, आर्किटेक्ट और मशीनों से जुड़े लोग भगवान विश्वकर्मा की जयंती बड़े उत्साह से मनाते हैं।

📜 पौराणिक कथाएँ और इतिहास

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार:

1. स्वर्ग निर्माण – विश्वकर्मा जी ने इंद्रपुरी का निर्माण किया, जो सोने और रत्नों से सजा था।

2. लंका का निर्माण – रावण के लिए सोने की लंका का निर्माण विश्वकर्मा ने ही किया था।

3. द्वारका नगरी – श्रीकृष्ण की द्वारका भी विश्वकर्मा के अद्भुत कौशल का परिणाम थी।

4. अस्त्र-शस्त्र – सुदर्शन चक्र, त्रिशूल और वज्र जैसे दिव्य शस्त्र उनके द्वारा बनाए गए।

👉 इन कथाओं से यह स्पष्ट है कि विश्वकर्मा केवल एक कारीगर नहीं, बल्कि सृजन और निर्माण की अद्वितीय शक्ति थे।

📅 Vishwakarma Jayanti 2025 की तिथि और महत्व

तिथि: बुधवार, 17 सितम्बर 2025

महत्व: भगवान विश्वकर्मा के जन्मोत्सव के रूप में।

इसे खासकर बिहार, ओडिशा, असम, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में बड़े पैमाने पर मनाया जाता है।

इस दिन मजदूर और कारीगर अपने औज़ारों और मशीनों की पूजा करते हैं और भगवान विश्वकर्मा से सफलता व सुरक्षा की प्रार्थना करते हैं।

🪔 पूजा विधि और अनुष्ठान

Vishwakarma Jayanti पर पूजा विधि बहुत सरल और भावनात्मक होती है।

पूजा विधि

1. सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।

2. घर, दुकान, ऑफिस या फैक्ट्री को साफ करें।

3. भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।

4. अपने औज़ार, मशीन, वाहन या कार्यस्थल की पूजा करें।

5. फूल, धूप, दीप, हल्दी-रोली और प्रसाद अर्पित करें।

6. विश्वकर्मा जी की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।

पूजा का महत्व

माना जाता है कि इस दिन पूजा करने से काम में सफलता, मशीनों की सुरक्षा और व्यवसाय में उन्नति होती है।

मजदूर वर्ग इस दिन विशेष अवकाश लेकर पूरे उत्साह से जयंती मनाता है।

🚜 भगवान विश्वकर्मा: मशीनों, ट्रैक्टर और औज़ारों के देवता क्यों?

भगवान विश्वकर्मा को “देव शिल्पी” और “आर्किटेक्ट ऑफ द गॉड्स” कहा जाता है।

उन्होंने स्वर्गलोक, लंका, द्वारका जैसी भव्य नगरियों का निर्माण किया।

देवताओं के अस्त्र-शस्त्र, जैसे सुदर्शन चक्र, त्रिशूल और वज्र, भी उन्हीं की कारीगरी का नतीजा हैं।

इसी कारण वे हर उस वस्तु के संरक्षक माने जाते हैं जो निर्माण, तकनीक, मशीन और औज़ारों से जुड़ी हो।

आधुनिक समय से जुड़ाव

1. पहले लोग खेती के औज़ार और कारीगरी के उपकरण विश्वकर्मा जी को समर्पित करते थे।

2. जैसे-जैसे समय बदलता गया, औज़ारों की जगह ट्रैक्टर, मशीनें, बाइक, कार और फैक्ट्री उपकरण ने ले ली।

3. लोग मानते हैं कि भगवान विश्वकर्मा की कृपा से उनकी मशीनें सुरक्षित रहती हैं और काम में सफलता मिलती है।

4. किसान अपने ट्रैक्टर और खेती के उपकरण, दुकानदार अपनी मशीनें और कैश काउंटर, और आम लोग अपनी बाइक-कार की पूजा इसी दिन करते हैं।

🌍 भारत के अलग-अलग राज्यों में उत्सव

1. बिहार और झारखंड – मजदूर वर्ग औज़ारों की पूजा करता है।

2. पश्चिम बंगाल और ओडिशा – इस दिन पतंगबाज़ी और बड़े मेलों का आयोजन होता है।

3. असम – उद्योगों और कारखानों में छुट्टी दी जाती है और सामूहिक पूजा होती है।

4. उत्तर भारत – दुकानों, ऑफिस और वर्कशॉप्स में पूजा होती है।

🏭 आधुनिक युग में Vishwakarma Jayanti का महत्व

औद्योगिक क्रांति के बाद यह पर्व और भी लोकप्रिय हो गया।

आज के समय में IT कंपनियाँ, मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री, कारखाने और निर्माण कंपनियाँ भी इसे मनाती हैं।

यह दिन हमें यह सिखाता है कि श्रम का सम्मान करना और औज़ारों की कद्र करना ही सफलता की असली कुंजी है।

🔄 Vishwakarma Jayanti और Vishwakarma Puja का अंतर

Vishwakarma Jayanti – 17 सितम्बर को भगवान विश्वकर्मा के जन्मदिन के रूप में।

Vishwakarma Puja – दिवाली के अगले दिन (कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा) को औज़ारों और मशीनों की पूजा के रूप में।

👉 दोनों पर्वों का उद्देश्य एक ही है – भगवान विश्वकर्मा के प्रति श्रद्धा और श्रम का सम्मान।

🌟 समाज और जीवन के लिए संदेश

Vishwakarma Jayanti हमें याद दिलाती है कि कड़ी मेहनत, कौशल और सृजनात्मकता ही जीवन की असली पूँजी है।

मजदूर, इंजीनियर, आर्किटेक्ट और तकनीकी लोग ही किसी भी राष्ट्र की रीढ़ होते हैं।

यह पर्व हमें श्रम का सम्मान करने और मेहनतकश लोगों की कद्र करने का संदेश देता है।

Vishwakarma Jayanti 2025 से जुड़े FAQs

Q1. Vishwakarma Jayanti 2025 कब है?

➡️ 17 सितम्बर 2025, बुधवार को।


Q2. Vishwakarma Jayanti क्यों मनाई जाती है?

➡️ भगवान विश्वकर्मा के जन्मदिन की याद में।


Q3. इस दिन क्या किया जाता है?

➡️ औज़ार, मशीन, वाहन और कार्यस्थल की पूजा की जाती है।


Q4. किन राज्यों में इसे सबसे अधिक मनाया जाता है?

➡️ बिहार, ओडिशा, असम, झारखंड, पश्चिम बंगाल और उत्तर भारत के कई हिस्सों में।


Q5. क्या Vishwakarma Jayanti और Vishwakarma Puja अलग हैं?

➡️ हाँ, Jayanti 17 सितम्बर को और Puja दिवाली के अगले दिन होती है।

निष्कर्ष

Vishwakarma Jayanti 2025 केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है बल्कि यह श्रम, कौशल और सृजनशीलता का उत्सव है। यह दिन हमें मेहनत और औज़ारों का सम्मान करने की शिक्षा देता है।

भगवान विश्वकर्मा से प्रार्थना है कि वे सबके जीवन में समृद्धि, सफलता और सुरक्षा प्रदान करें।

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