1984 के सिख विरोधी दंगे: पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार को आजीवन कारावास
1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। यह फैसला उन दंगों से जुड़े मामलों में से एक है, जिसमें सैकड़ों निर्दोष सिखों की हत्या कर दी गई थी। इस फैसले को न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, क्योंकि इस मामले में तीन दशक से अधिक समय बीत चुका था।
1984 के सिख विरोधी दंगे: एक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
1984 के सिख विरोधी दंगे भारतीय इतिहास की सबसे दुखद घटनाओं में से एक हैं। 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या कर दी गई थी। उनकी हत्या के बाद पूरे देश, विशेषकर दिल्ली में, सिख समुदाय के खिलाफ हिंसा भड़क उठी। हजारों सिखों की बेरहमी से हत्या कर दी गई, उनके घरों, गुरुद्वारों और दुकानों को जला दिया गया।
उस समय के कई पीड़ितों और गवाहों ने आरोप लगाया था कि दंगों में कांग्रेस के कई नेताओं का हाथ था। कहा जाता है कि स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने हिंसा रोकने में असफलता दिखाई, और कई मामलों में तो पुलिस पर दंगाइयों को सहयोग देने का भी आरोप लगा।
सज्जन कुमार पर आरोप और मुकदमा
सज्जन कुमार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे और 1984 के दंगों के दौरान वे दिल्ली में प्रभावशाली स्थिति में थे। उन पर आरोप था कि उन्होंने भीड़ को उकसाया और सिखों के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा दिया।
- मुख्य आरोप:
- दंगाइयों को निर्देश देना
- सिख समुदाय के खिलाफ भड़काऊ भाषण देना
- पीड़ितों को डराना और धमकाना
- साक्ष्यों को नष्ट करने की कोशिश करना
मामले की कानूनी प्रक्रिया
1984 के दंगों से जुड़े कई मामले वर्षों तक लंबित रहे। हालांकि, 2005 में जब मनमोहन सिंह सरकार ने इस मामले की जांच के लिए नानावटी आयोग का गठन किया, तब कई पुराने मामले फिर से खोले गए।
2007 में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने सज्जन कुमार के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।
- 2010: दिल्ली की एक अदालत ने सज्जन कुमार के खिलाफ हत्या, दंगा फैलाने और साजिश रचने के आरोप तय किए।
- 2013: निचली अदालत ने सज्जन कुमार को बरी कर दिया, जिससे पीड़ितों में नाराजगी फैल गई।
- 2018: दिल्ली हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए सज्जन कुमार को दोषी करार दिया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला
17 दिसंबर 2018 को दिल्ली हाई कोर्ट ने सज्जन कुमार को 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में दोषी ठहराया और उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह मामला "नरसंहार" (genocide) का है, जहां पूरे समुदाय को निशाना बनाया गया।
न्यायाधीशों ने कहा कि यह हिंसा किसी अचानक भड़की भीड़ का नतीजा नहीं थी, बल्कि इसे योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया। कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक ताकतों और कानून व्यवस्था की मिलीभगत के कारण इस अपराध को अंजाम दिया गया।
पीड़ितों और सिख समुदाय की प्रतिक्रिया
इस फैसले के बाद सिख समुदाय और दंगा पीड़ितों के परिवारों ने संतोष जताया। कई लोगों ने कहा कि उन्हें तीन दशक से अधिक समय बाद न्याय मिला है।
पीड़ितों की ओर से लड़ रहे वकील एच.एस. फुल्का ने कहा कि यह फैसला उन सभी लोगों के लिए उम्मीद की किरण है, जिन्होंने वर्षों तक न्याय के लिए संघर्ष किया।
शिरोमणि अकाली दल (SAD) और अन्य सिख संगठनों ने भी इस फैसले का स्वागत किया और मांग की कि अन्य आरोपियों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाए।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस फैसले के बाद राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मच गई।
- भारतीय जनता पार्टी (BJP): भाजपा नेताओं ने इस फैसले को "सच्चाई की जीत" बताया और कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में इस मामले को दबाने की कोशिश की गई थी।
- कांग्रेस: कांग्रेस ने इस पर आधिकारिक रूप से कोई बड़ा बयान नहीं दिया, लेकिन पार्टी के कुछ नेताओं ने कहा कि कानून अपना काम कर रहा है।
- अरविंद केजरीवाल (AAP): दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन अभी भी कई पीड़ित परिवारों को न्याय का इंतजार है।
सज्जन कुमार का बचाव और भविष्य की कानूनी प्रक्रिया
सज्जन कुमार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि वे निर्दोष हैं और उन्हें राजनीतिक कारणों से फंसाया गया है। हालांकि, हाई कोर्ट के सख्त रुख को देखते हुए उनके लिए राहत पाना मुश्किल माना जा रहा था।
1984 दंगों से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण मामले
1984 के दंगों के कई अन्य मामले अभी भी लंबित हैं।
- जगदीश टाइटलर: कांग्रेस के एक अन्य नेता जगदीश टाइटलर पर भी दंगों में शामिल होने का आरोप है, लेकिन अब तक उनके खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
- कमलनाथ: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पर भी आरोप लगे थे, लेकिन वे अब तक किसी भी कानूनी कार्रवाई से बचते रहे हैं।
- सज्जन कुमार का भाई भी दोषी: सज्जन कुमार के भाई रमेश कुमार को भी 1984 दंगों में दोषी ठहराया गया था।
निष्कर्ष
1984 के सिख विरोधी दंगे भारत के इतिहास का एक काला अध्याय हैं। इन दंगों ने देश की धर्मनिरपेक्षता पर सवाल खड़े कर दिए थे।
दिल्ली हाई कोर्ट का यह फैसला उन हजारों पीड़ित परिवारों के लिए न्याय की एक किरण लेकर आया है, जो दशकों से इंसाफ का इंतजार कर रहे थे। हालांकि, अभी भी कई मामलों में न्याय नहीं मिला है और दोषी अब भी खुले घूम रहे हैं।
अब देखना यह होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस फैसले पर क्या रुख अपनाता है और क्या 1984 के सभी दोषियों को सजा मिल पाएगी या नहीं।
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