Vijaya Ekadashi (विजया एकादशी) 2025: व्रत कथा, महत्व और पूजन विधि
Vijaya Ekadashi (विजया एकादशी) 2025 कब है?
विजया एकादशी 2025 में 26 फरवरी, बुधवार को मनाई जाएगी। यह एकादशी हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत रखने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति को विजय की प्राप्ति होती है।
Vijaya Ekadashi (विजया एकादशी) का महत्व
विजया एकादशी का विशेष महत्व है, क्योंकि यह व्यक्ति को हर प्रकार के संकटों से उबारने वाली और सफलता प्रदान करने वाली मानी जाती है। यह व्रत न केवल मोक्ष प्रदान करने वाला होता है, बल्कि जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर कर विजय दिलाने वाला भी होता है। मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने लंका पर विजय पाने के लिए इसी एकादशी का व्रत किया था।
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इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी दुखों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
Vijaya Ekadashi (विजया एकादशी) व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, त्रेतायुग में जब भगवान श्रीराम और उनकी सेना समुद्र पार कर लंका जाने की तैयारी कर रही थी, तब उन्हें समुद्र पार करने की समस्या का सामना करना पड़ा।
रामजी के साथ रहने वाले ऋषियों ने उन्हें विजया एकादशी व्रत रखने का सुझाव दिया। भगवान श्रीराम और उनकी सेना ने विधिपूर्वक इस व्रत को रखा और इसके प्रभाव से वे समुद्र पार करने में सफल हुए तथा रावण पर विजय प्राप्त की। तभी से इस व्रत को "विजया एकादशी" के नाम से जाना जाता है।
Vijaya Ekadashi (विजया एकादशी) व्रत की पूजा विधि
इस एकादशी पर व्रत रखने और पूजा करने की विधि इस प्रकार है:
1. व्रत की तैयारी (एक दिन पहले)
दशमी तिथि की रात सात्त्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
किसी भी प्रकार के तामसिक भोजन (मांस, लहसुन, प्याज) से परहेज करें।
मन में संकल्प लें कि आप विधिपूर्वक एकादशी व्रत का पालन करेंगे।
2. एकादशी के दिन (मुख्य व्रत एवं पूजा विधि)
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
घर के पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र पर पुष्प अर्पित करें।
धूप, दीप, नैवेद्य और तुलसी पत्र चढ़ाकर भगवान विष्णु की आराधना करें।
श्री हरि विष्णु के मंत्रों का जाप करें, जैसे:
"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय"
दिनभर व्रत रखें और भजन-कीर्तन करें।
एकादशी व्रत कथा का श्रवण या पाठ करें।
रात्रि जागरण करना अत्यंत शुभ माना जाता है
3. द्वादशी के दिन (व्रत पारण)
अगले दिन (द्वादशी तिथि) सूर्योदय के बाद व्रत पारण करें।
ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा दें।
स्वयं सात्त्विक भोजन ग्रहण करें!
विजया एकादशी व्रत के नियम
इस दिन अन्न, चावल और तामसिक भोजन का सेवन न करें।
क्रोध, झूठ, निंदा, चोरी और हिंसा से दूर रहें।
ब्रह्मचर्य का पालन करें और शुद्ध मन से भगवान विष्णु की आराधना करें।
इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान देना बेहद शुभ माना जाता है।
विजया एकादशी के लाभ
1. सभी पापों का नाश – इस व्रत को करने से व्यक्ति के पिछले जन्म और इस जन्म के पापों का नाश होता है।
2. संकटों से मुक्ति – इस व्रत को रखने से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं।
3. विजय प्राप्ति – नाम के अनुसार, यह व्रत व्यक्ति को सभी कार्यों में सफलता दिलाने वाला होता है।
4. मोक्ष की प्राप्ति – विजया एकादशी का व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और व्यक्ति को वैकुंठ धाम में स्थान मिलता है।
5. मानसिक शांति – इस दिन भगवान विष्णु की भक्ति करने से मानसिक शांति और सकारात्मकता बनी रहती है।
विजया एकादशी पर विशेष उपाय
इस दिन भगवान विष्णु को पीले फूल और तुलसी दल अर्पित करें।
यदि किसी कार्य में बार-बार असफलता मिल रही हो तो इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
आर्थिक परेशानियों से बचने के लिए इस दिन जरूरतमंदों को भोजन कराएं।
संतान सुख की प्राप्ति के लिए दंपत्ति को इस दिन व्रत रखना शुभ माना जाता है।
इस दिन किसी भी व्यक्ति को अपशब्द न कहें और हमेशा मधुर वाणी बोलें।
निष्कर्ष
विजया एकादशी का व्रत हर किसी के लिए शुभ माना जाता है, क्योंकि यह न केवल भौतिक सफलता प्रदान करता है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति भी देता है। यदि आप अपने जीवन में सुख-समृद्धि, विजय और शांति चाहते हैं, तो इस पवित्र एकादशी का व्रत अवश्य करें। भगवान विष्णु की कृपा से आपके जीवन में सभी बाधाएं दूर होंगी और हर कार्य में सफलता प्राप्त होगी।
आप सभी को विजया एकादशी 2025 की हार्दिक शुभकामनाएँ!
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