दुर्गा अष्टमी व्रत 2025: तिथि, महत्व और पूजा विधि

दुर्गा अष्टमी व्रत 2025: तिथि, महत्व और पूजा विधि


1. दुर्गा अष्टमी 2025 कब है? (Durga Ashtami 2025 Date & Time)

दुर्गा अष्टमी हर महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। लेकिन चैत्र और आश्विन नवरात्रि में आने वाली दुर्गा अष्टमी का विशेष महत्व होता है।

➡️ दुर्गा अष्टमी 2025 की तिथि:

📅 तारीख: 7 मार्च 2025 (शुक्रवार)

⏳ अष्टमी तिथि प्रारंभ: 6 मार्च 2025 को रात 11:35 बजे

⏳ अष्टमी तिथि समाप्त: 7 मार्च 2025 को रात 09:19 बजे

👉 इस दिन व्रत रखने और माँ दुर्गा की पूजा करने से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।

2. दुर्गा अष्टमी व्रत का महत्व (Significance of Durga Ashtami Vrat)

1. माँ दुर्गा की कृपा प्राप्ति: इस दिन माँ दुर्गा की उपासना करने से भक्तों को शक्ति, समृद्धि और सुख-शांति मिलती है।

2. नकारात्मकता का नाश: इस दिन दुर्गा सप्तशती के पाठ और हवन से जीवन की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।

3. कन्या पूजन का महत्व: नवरात्रि में दुर्गा अष्टमी के दिन 9 कन्याओं को भोजन कराना बेहद शुभ माना जाता है।

4. कर्मों का शुद्धिकरण: इस व्रत को करने से व्यक्ति के पूर्व जन्म के पापों का नाश होता है।

5. सफलता और समृद्धि: व्यापारियों और नौकरीपेशा लोगों के लिए यह दिन विशेष रूप से लाभकारी होता है।

3. दुर्गा अष्टमी व्रत की विधि (Durga Ashtami Vrat Vidhi)

✅ व्रत शुरू करने से पहले:

प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

माँ दुर्गा के समक्ष दीप जलाकर व्रत का संकल्प लें।

"ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे" मंत्र का जाप करें।

✅ पूजा सामग्री:

✔️ लाल वस्त्र

✔️ फूल (गुलाब या लाल फूल)

✔️ धूप और दीप

✔️ नैवेद्य (हलवा, पूरी और चना)

✔️ नारियल

✔️ माँ दुर्गा की मूर्ति या चित्र

✅ पूजा विधि:

1. माँ दुर्गा की प्रतिमा पर लाल कपड़ा चढ़ाएं।

2. माँ को गंगाजल से स्नान कराएं और अक्षत (चावल) चढ़ाएं।

3. "ॐ दुं दुर्गायै नमः" मंत्र का जाप करें।

4. दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।

5. हलवा, पूरी और चना का भोग लगाएं।

6. कन्या पूजन करें और 9 कन्याओं को भोजन कराकर दक्षिणा दें।

👉 इस तरह पूजा करने से माँ दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

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4. दुर्गा अष्टमी व्रत कथा (Durga Ashtami Vrat Katha in Hindi)

📖 प्राचीन कथा:

एक बार एक ब्राह्मण की पत्नी ने नवरात्रि के दौरान माँ दुर्गा की उपासना की। लेकिन वह अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना भूल गई। इसके कारण उसे अगले जन्म में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। जब उसने अगले जन्म में यह गलती सुधारी और अष्टमी व्रत के साथ कन्या पूजन किया, तो उसकी सभी परेशानियाँ दूर हो गईं और उसे दिव्य आशीर्वाद प्राप्त हुआ।

➡️ इस कथा से हमें यह सीख मिलती है कि दुर्गा अष्टमी पर कन्या पूजन और सही विधि से व्रत करना आवश्यक होता है।

5. दुर्गा अष्टमी व्रत के लाभ (Benefits of Durga Ashtami Vrat)

🔸 नकारात्मक शक्तियों से रक्षा: यह व्रत नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों से बचाव करता है।

🔸 मानसिक और शारीरिक शुद्धि: पूजा और उपवास से मन और शरीर दोनों की शुद्धि होती है।

🔸 सफलता और समृद्धि: इस व्रत को करने से आर्थिक उन्नति और करियर में सफलता मिलती है।

🔸 परिवार में सुख-शांति: माँ दुर्गा की कृपा से परिवार में प्रेम और सौहार्द बना रहता है।

🔸 संतान सुख: यह व्रत नि:संतान दंपतियों के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है!

6. दुर्गा अष्टमी पर क्या करें और क्या न करें? (Dos and Don'ts)

✅ क्या करें?

✔️ सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।

✔️ माँ दुर्गा को लाल वस्त्र और लाल फूल अर्पित करें।

✔️ "ॐ दुं दुर्गायै नमः" मंत्र का जाप करें।

✔️ कन्या पूजन करें और 9 कन्याओं को भोजन कराएं।

❌ क्या न करें?

❌ इस दिन प्याज, लहसुन और मांसाहार का सेवन न करें।

❌ क्रोध, अहंकार और नकारात्मक विचारों से बचें।

❌ किसी का अपमान न करें, विशेष रूप से कन्याओं और महिलाओं का।

❌ पूजा में अधूरा भोग न लगाएं, संपूर्ण विधि से पूजा करें।

7. दुर्गा अष्टमी व्रत के बाद कैसे खोलें? (How to End Durga Ashtami Vrat?)

🔹 अष्टमी तिथि समाप्त होने के बाद, व्रती को पहले माँ दुर्गा को भोग अर्पित करना चाहिए।

🔹 इसके बाद, 9 कन्याओं को भोजन कराकर दक्षिणा दें।

🔹 फिर स्वयं फलाहार या सात्विक भोजन ग्रहण करें।

👉 इस विधि से व्रत पूर्ण करने पर माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है।

निष्कर्ष (Conclusion)

दुर्गा अष्टमी व्रत माँ दुर्गा की विशेष कृपा पाने का उत्तम अवसर है। यह व्रत न केवल आध्यात्मिक रूप से लाभकारी है, बल्कि जीवन में सफलता, सुख-शांति और समृद्धि लाने में भी सहायक होता है। अगर आप इस व्रत को पूरी श्रद्धा और सही विधि से करते हैं, तो माँ दुर्गा की कृपा से आपके सभी कष्ट दूर हो सकते हैं।


🙏 जय माता दी! 🙏


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