डोनाल्ड ट्रंप का कहर: इन 4 देशों पर पड़ा सीधा असर

डोनाल्ड ट्रंप का कहर: इन 4 देशों पर पड़ा सीधा असर


अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर सुर्खियों में हैं। उनके हालिया फैसले ने चार देशों—क्यूबा, हैती, निकारागुआ और वेनेजुएला—पर गहरा प्रभाव डाला है। ट्रंप प्रशासन ने इन देशों के 5,30,000 नागरिकों को दिए गए कानूनी संरक्षण को समाप्त करने का फैसला किया है। इससे प्रभावित लोगों को 30 दिनों के भीतर अमेरिका छोड़ने का आदेश दिया गया है। इस फैसले के कई राजनैतिक और मानवीय प्रभाव हो सकते हैं।


क्या है पूरा मामला?


बाइडेन प्रशासन के दौरान, 'पैरोल प्रोग्राम' के तहत इन चार देशों के नागरिकों को अमेरिका में रहने और काम करने की अनुमति दी गई थी। लेकिन अब ट्रंप प्रशासन ने इस कार्यक्रम को खत्म करने का निर्णय लिया है, यह तर्क देते हुए कि इसका दुरुपयोग हो रहा है और इससे अमेरिका में अवैध प्रवासन बढ़ सकता है।

किन देशों पर पड़ा सबसे ज्यादा असर?

1. क्यूबा:

अमेरिका-क्यूबा संबंध पहले से ही तनावपूर्ण हैं। इस फैसले से अमेरिका में रहने वाले हजारों क्यूबाई प्रवासियों को अपने देश लौटना पड़ सकता है। इससे क्यूबा में सामाजिक और आर्थिक अस्थिरता बढ़ सकती है।


2. हैती:

हैती पहले से ही राजनीतिक और आर्थिक संकट से जूझ रहा है। वहाँ अपराध दर बढ़ रही है और सरकार भी अस्थिर है। ऐसे में हजारों हैतियन नागरिकों की अमेरिका से वापसी वहां की स्थिति को और खराब कर सकती है।


3. निकारागुआ:

निकारागुआ सरकार और अमेरिका के संबंध हाल के वर्षों में बिगड़े हैं। ट्रंप का यह कदम वहां की अर्थव्यवस्था और राजनीतिक स्थिति को और नुकसान पहुंचा सकता है।


4. वेनेजुएला:

वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था पहले ही गंभीर संकट में है। अमेरिका में बसे वेनेजुएला के हजारों नागरिक इस फैसले से प्रभावित होंगे, जिससे वहां गरीबी और बेरोजगारी बढ़ सकती है।


क्या होगा आगे?


इस फैसले से अमेरिका और इन चार देशों के राजनयिक संबंध और अधिक तनावपूर्ण हो सकते हैं। कई मानवाधिकार संगठनों ने इस कदम की निंदा की है और इसे अन्यायपूर्ण बताया है।

ईरान पर भी प्रतिबंध

इसके अलावा, ट्रंप प्रशासन ने ईरान पर प्रतिबंधों के उल्लंघन के आरोप में चार भारतीय कंपनियों पर भी प्रतिबंध लगाए हैं। इन कंपनियों पर ईरानी तेल के व्यापार में शामिल होने का आरोप है, जो अमेरिकी और संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों का उल्लंघन माना जाता है।

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निष्कर्ष

ट्रंप प्रशासन का यह फैसला न केवल लाखों लोगों की जिंदगी प्रभावित करेगा, बल्कि अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय संबंधों को भी झटका दे सकता है। अब देखना होगा कि बाइडेन प्रशासन इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाता है और क्या इस फैसले को बदला जा सकता है।


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