Bakrid (ईद-उल-अधा) 2025: जब आस्था ने दी सबसे बड़ी कुर्बानी – जानिए क्यों मनाते हैं बकरीद


Bakrid 2025


🕌 ईद-उल-अज़हा (बकरीद) का परिचय | Bakrid Introduction in Hindi

ईद-उल-अज़हा, जिसे आम बोलचाल में बकरीद कहा जाता है, इस्लाम धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह त्योहार त्याग, बलिदान और अल्लाह के प्रति पूर्ण समर्पण का प्रतीक है। मुस्लिम समुदाय के लिए यह पर्व विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है।

Bakrid 2025



इस दिन दुनियाभर के मुसलमान नमाज अदा करते हैं और कुर्बानी के रूप में जानवर (जैसे बकरा, ऊंट या भैंस) की बलि देते हैं, जो कि हज़रत इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) की अल्लाह के प्रति निष्ठा और आज्ञाकारिता की याद दिलाता है। कुर्बानी के मांस को तीन हिस्सों में बांटा जाता है — एक हिस्सा गरीबों को, दूसरा रिश्तेदारों को और तीसरा अपने लिए रखा जाता है।

यह त्योहार इस्लामी पंचांग के अनुसार धु अल-हिज्जा महीने की 10वीं तारीख को मनाया जाता है, और यह हज यात्रा की समाप्ति का संकेत भी देता है।

📜 बकरीद का इतिहास | History of Bakrid in Hindi

बकरीद का इतिहास इस्लाम के एक महान नबी — हज़रत इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) — की अल्लाह के प्रति आज्ञाकारिता की कहानी से जुड़ा हुआ है।

🕋 हज़रत इब्राहीम की परीक्षा:

कहानी के अनुसार, हज़रत इब्राहीम ने अल्लाह से प्रार्थना की थी कि उन्हें एक नेक संतान दी जाए। अल्लाह ने उन्हें पुत्र हज़रत इस्माईल (अलैहिस्सलाम) प्रदान किया। जब इस्माईल बड़े हुए, तो एक दिन हज़रत इब्राहीम को सपने में आदेश मिला कि वे अपने सबसे प्रिय चीज़ की कुर्बानी दें। उन्होंने सपने को अल्लाह का आदेश मानते हुए अपने बेटे को कुर्बान करने की तैयारी कर ली।

🐏 अल्लाह की रहमत:

जब हज़रत इब्राहीम ने अपने पुत्र को कुर्बान करने की कोशिश की, अल्लाह ने उनके ईमान और भक्ति को देखकर एक दुम्बा (भेड़/बकरा) भेजा, और वही कुर्बानी के लिए स्वीकार कर लिया गया।
यह घटना इस बात का प्रतीक बन गई कि सच्चा बलिदान किसी भी चीज़ से ऊपर होता है, और ईश्वर केवल नीयत और र्और समर्पण को देखता है।

ईद-उल-अधा 2025: जब आस्था ने दी सबसे बड़ी कुर्बानी – जानिए क्यों मनाते हैं बकरीद


बकरीद इसी बलिदान की याद में मनाया जाता है, जिससे यह संदेश मिलता है कि सच्ची भक्ति और ईमान से बड़ी कोई चीज़ नहीं होती।

📅 बकरीद 2025 की तारीख और समय

तारीख: शनिवार, 7 जून 2025

इस्लामी कैलेंडर: 10वां ज़िल-हिज्जा

नमाज़ का समय: स्थान के अनुसार बदलता है, सुबह की नमाज़ के बाद कुर्बानी की जाती है।

🙏 बकरीद की धार्मिक मान्यता

बकरीद का मुख्य संदेश है—"त्याग और सेवा"। अल्लाह के प्रति समर्पण और उसके हुक्म को मानने की भावना इस दिन के प्रत्येक कार्य में झलकती है। कुर्बानी एक प्रतीकात्मक कृत्य है जो दिखाता है कि हम अपने अहम, लालच, और स्वार्थ को त्याग सकते हैं।

ईद-उल-अधा 2025: जब आस्था ने दी सबसे बड़ी कुर्बानी – जानिए क्यों मनाते हैं बकरीद


🕋 बकरीद की तैयारियाँ कैसे होती हैं?

1. घर की सफाई और सजावट

2. नई पोशाकों की खरीदारी

3. बकरों या अन्य कुर्बानी के जानवरों की खरीद

4. ग़रीबों को दान देना

5. बच्चों के लिए तोहफे और मिठाईयाँ

🕌 ईद की नमाज़ और उसकी विधि

बकरीद की नमाज़ विशेष होती है जो ईदगाह या मस्जिद में अदा की जाती है।

नमाज़ की प्रक्रिया:

दो रक़ात नमाज़

6 तक़बीरें शामिल होती हैं

नमाज़ के बाद ख़ुत्बा (उपदेश) होता है

🐐 कुर्बानी का महत्व और प्रक्रिया

कुर्बानी किन जानवरों की की जा सकती है?

बकरा

भेड़

गाय

ऊँट (कुछ स्थानों पर)

शर्तें:

जानवर स्वस्थ हो

एक निर्धारित उम्र पूरी की हो

कुर्बानी इस्लामी तरीके से की जाए

कुर्बानी का मांस कैसे बाँटा जाता है?

1. एक तिहाई हिस्सा – परिवार के लिए

2. एक तिहाई – रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए

3. एक तिहाई – ज़रूरतमंदों के लिए

🍛 बकरीद के खास पकवान

1. शीर खुरमा

2. मटन बिरयानी

3. निहारी

4. कबाब

5. सेवइयाँ

🌍 बकरीद कैसे मनाई जाती है दुनिया भर में?

भारत: मस्जिदों में नमाज़, घरों में दावतें, ग़रीबों को दान

सऊदी अरब: हज के बाद कुर्बानी, विशेष सरकारी आयोजन

पाकिस्तान: राष्ट्रीय अवकाश, कुर्बानी, पारिवारिक मेल-मिलाप

बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मलेशिया: सांस्कृतिक परंपराएं और विशेष व्यंजन

📸 सोशल मीडिया पर बकरीद ट्रेंड

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मुसलमान एक-दूसरे को शुभकामनाएँ भेजते हैं

फोटो, वीडियो और रील्स शेयर की जाती हैं

🤝 बकरीद का सामाजिक पहलू

बकरीद सिर्फ धार्मिक नहीं बल्कि एक सामाजिक पर्व भी है:

गरीबों की मदद

भाईचारा और मेल-मिलाप

बच्चों को उपहार देना

सामूहिक भोज और दावतें

🔖 ईद-उल-अधा पर कुछ प्रसिद्ध कथन

"कुर्बानी से बढ़कर कोई इबादत नहीं।"

"ईद मनाने का असली मकसद है—अल्लाह की रहमत में शामिल होना।"

"जो कुर्बानी देना जानता है, वही सच्चे ईमान वाला है।"

❓ FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

Q1: क्या हर मुसलमान पर कुर्बानी देना ज़रूरी है?

A: अगर कोई व्यक्ति आर्थिक रूप से सक्षम है, तो उस पर कुर्बानी फर्ज़ होती है।


Q2: बकरीद पर रोज़ा रखना ज़रूरी है?

A: नहीं, बकरीद पर रोज़ा मना है।


Q3: क्या कुर्बानी का मांस ग़ैर-मुस्लिमों को दे सकते हैं?

A: हाँ, अगर वे इसे स्वीकार करते हैं, तो दे सकते हैं।


Q4: कुर्बानी कितने दिन तक की जाती है?

A: बकरीद के दिन और अगले दो दिनों तक – कुल तीन दिन।

निष्कर्ष

बकरीद सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि जीवन के उच्च आदर्शों को अपनाने का अवसर है। यह हमें त्याग, सेवा, करुणा और समानता का संदेश देता है। 2025 में यह पर्व 7 जून को मनाया जा रहा है, और यह दिन हम सबके लिए अपने मन को शुद्ध करने और अपने कर्तव्यों को निभाने का सुंदर अवसर है।

बकरीद की ढेरों शुभकामनाएं! Eid Mubarak! ✨

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